Last Updated:
थायरॉइड शरीर की महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो मेटाबॉलिज़्म, हार्मोनल संतुलन और ऊर्जा स्तर जैसी कई क्रियाओं को नियंत्रित करती है. जब इसका संतुलन बिगड़ता है, तो थकान, वजन बढ़ना और हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याएं सामने आती हैं. योगासन के नियमित अभ्यास से गले में रक्त प्रवाह बढ़ता है, ग्रंथि सक्रिय रहती है और हार्मोनल संतुलन बेहतर होता है. साथ ही यह तनाव कम करने में भी मदद करता है.
सर्वांगासन को योग में ‘क्वीन ऑफ आसन’ कहा जाता है. यह आसन थायरॉइड ग्रंथि के लिए बेहद लाभकारी है क्योंकि इसमें शरीर उल्टा हो जाता है और गर्दन के क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ता है. यह हार्मोन संतुलन में मदद करता है और थायरॉइड की सक्रियता को बढ़ाता है. नियमित अभ्यास से थकान, तनाव और हार्मोनल असंतुलन में राहत मिलती है. शुरुआत में दीवार या सहारे के साथ अभ्यास करना सुरक्षित होता है.

मत्स्यासन करने से गर्दन और गले की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे थायरॉइड ग्रंथि सक्रिय होती है. यह आसन छाती को खोलता है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है. मत्स्यासन करने से रक्त संचार बेहतर होता है और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है. यह तनाव कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है. थायरॉइड की समस्या वाले लोग इसे रोज़ 1-2 मिनट कर सकते हैं.

हलासन में पैर सिर के पीछे जमीन पर लगाए जाते हैं, जिससे गले पर हल्का दबाव पड़ता है और थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजना मिलती है. यह आसन रक्त संचार बढ़ाकर हार्मोन के स्राव को संतुलित करता है. हलासन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है. थायरॉइड के साथ-साथ यह मोटापा और तनाव कम करने में भी मदद करता है. इसे करने से पहले सर्वांगासन का अभ्यास करना लाभकारी रहता है.

भुजंगासन पेट के बल लेटकर किया जाता है, जिसमें छाती को ऊपर उठाया जाता है. इससे गले और छाती में खिंचाव आता है, जो थायरॉइड ग्रंथि के कार्य में सुधार करता है. यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और कंधों को लचक देता है. भुजंगासन मानसिक तनाव को कम करता है और शरीर को ऊर्जावान बनाता है. यह थायरॉइड के साथ-साथ पीठ दर्द में भी लाभकारी है.

उष्ट्रासन में घुटनों के बल खड़े होकर शरीर को पीछे की ओर मोड़ा जाता है, जिससे गले और छाती में गहरा खिंचाव आता है. यह थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित कर हार्मोन संतुलन में मदद करता है. उष्ट्रासन छाती को खोलता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और रीढ़ को लचीला बनाता है. मानसिक तनाव कम करने में यह आसन कारगर है. शुरुआती लोग इसे धीरे-धीरे और सही तकनीक से करें.

विपरीत करनी एक आसान लेकिन प्रभावी योगासन है, जिसमें पैरों को दीवार पर टिकाकर उल्टा किया जाता है. इससे गले और मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बेहतर होता है और थायरॉइड ग्रंथि सक्रिय रहती है. यह आसन मानसिक तनाव और थकान कम करता है, हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और नींद सुधारने में भी सहायक है. इसे किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से कर सकता है.

सेतु बंधासन में पीठ के बल लेटकर कूल्हों को ऊपर उठाया जाता है, जिससे गले और छाती में खिंचाव आता है. यह थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय करता है और हार्मोन के स्तर को संतुलित रखने में मदद करता है. सेतु बंधासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है, पाचन सुधारता है, मानसिक शांति देता है और तनाव कम करता है. थायरॉइड की समस्या वाले लोगों के लिए यह आसन विशेष रूप से लाभकारी है.

मार्जारी और व्यग्रासन का संयोजन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और गर्दन में रक्त संचार बढ़ाता है, जिससे थायरॉइड ग्रंथि को लाभ होता है. यह आसन तनाव कम करने और शरीर की थकान दूर करने में मदद करता है. सांस लेने और छोड़ने की गति से हार्मोनल संतुलन पर सकारात्मक असर पड़ता है. नियमित अभ्यास से थायरॉइड के लक्षणों में सुधार देखा जा सकता है.