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हजारीबाग में मोहम्मद जैनुल की बिरसा क्राफ्ट फैक्ट्री में लेदर प्रोडक्ट्स बनते हैं. उन्होंने 20 लोगों को रोजगार दिया है. उत्पादों की कीमत 50 से 3500 रुपये तक है.
हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग में अब लेदर की कारीगरी ने नया रूप लिया है. पहले कोलकाता और मुंबई लेदर कला के बड़े केंद्र माने जाते थे, लेकिन अब झारखंड का हजारीबाग भी इस क्षेत्र में पहचान बनाने लगा है. यहां के रोमी इलाके में मोहम्मद जैनुल पिछले 10 साल से लेदर प्रोडक्ट फैक्ट्री चला रहे हैं. वे देशभर के कई नामी संस्थानों के लिए उत्पाद तैयार करते हैं और अपनी कंपनी बिरसा क्राफ्ट का संचालन भी करते हैं.
20 लोगों को दिया है रोजगार
उनकी फैक्ट्री में लेदर बेल्ट, वॉलेट, डायरी कवर, बैग, की-चेन, कार्ड होल्डर जैसे कई उत्पाद बनाए जाते हैं. जैनुल बताते हैं कि उन्होंने मुंबई में 20 साल तक लेदर फैक्ट्री में काम किया. वहीं से सीखी तकनीक और अनुभव को लेकर वे अपने शहर लौटे और यहां खुद का काम शुरू किया. शुरुआत में यह एक छोटा प्रयास था, लेकिन धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और आज 20 से अधिक कारीगर उनके साथ मिलकर इन उत्पादों को तैयार करते हैं.
जानें यहां उत्पादों की कीमत
बिरसा क्राफ्ट में तैयार होने वाले उत्पादों की कीमत आम लोगों की पहुंच में है. महज 50 रुपये से की-चेन तैयार हो जाती है, जबकि रिंग होल्डर 70 से 150 रुपये तक मिलते हैं. लेदर वॉलेट 300 से 800 रुपये तक और डायरी कवर 250 से 600 रुपये तक बेचे जाते हैं. वहीं, लेदर बेल्ट की कीमत 400 से 1000 रुपये के बीच है, जबकि स्लिंग बैग और हैंडबैग 800 से 2000 रुपये तक के होते हैं. लैपटॉप बैग 1500 से 3500 रुपये तक के दाम में खरीदे जा सकते हैं.
स्थानीय उद्योग का बढ़ावा
इन सभी उत्पादों में असली लेदर का इस्तेमाल होता है और उन्हें हाथ से बारीकी के साथ तैयार किया जाता है, जिससे उनकी मजबूती और लुक दोनों ही लंबे समय तक बने रहते हैं. जैनुल बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर ऐसे उद्योग को बढ़ावा देने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और हजारीबाग की एक अलग पहचान बनेगी. आने वाले समय में वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए अपने उत्पाद को देश-विदेश में बेचने की योजना भी बना रहे हैं.
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