बुक रिव्यू- बिल गेट्स की कहानी, उनकी जुबानी: एक मिडिल क्लास लड़का कैसे बन गया दुनिया का सबसे सफल और अमीर शख्स

51 मिनट पहले

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किताब: ‘सोर्स कोड- मेरी शुरुआत’

(अंग्रेजी किताब ‘सोर्स कोड- माई बिगिनिंग्स’ का हिंदी अनुवाद)

लेखक: बिल गेट्स

अनुवाद: भुवेंद्र त्यागी

प्रकाशक: पेंगुइन

मूल्य: 499 रुपए

बिल गेट्स का नाम सुनते ही दिमाग में क्या आता है? एक तकनीकी जादूगर, माइक्रोसॉफ्ट का जनक, अरबों रुपये का मालिक और अब एक ऐसा इंसान जो दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अपनी संपत्ति खर्च कर रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये सब शुरू कहां से हुआ? कैसे एक छोटा सा बच्चा इतना बड़ा बन गया? उनकी किताब ‘सोर्स कोड- मेरी शुरुआत’ हमें उनकी जिंदगी के पहले 20 सालों की कहानी सुनाती है- 1955 में उनके जन्म से लेकर 1975 में माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत तक। ये किताब बिल गेट्स के बचपन, किशोरावस्था और उस जुनून के बारे में सबकुछ बताती है।

सपने को साकार बनाने वाली कहानी

ये सिर्फ आत्मकथा भर नहीं है। ये ऐसी कहानी है, जो हमें उस दौर में ले जाती है जब कंप्यूटर बस एक सपना था। ये हमें सिखाती है कि कैसे एक जिज्ञासु, थोड़ा सनकी और बहुत मेहनती लड़के ने अपने सपनों को सच कर दिखाया। चलिए, इस किताब की दुनिया में चलते हैं और देखते हैं कि बिल गेट्स का ‘सोर्स कोड’ हमें क्या सिखाता है।

किताब में क्या-क्या बताया गया है?

‘सोर्स कोड- मेरी शुरुआत’ बिल गेट्स की जिंदगी का वो हिस्सा है, जो शायद हम में से ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। ये 1955 से 1975 तक की कहानी है – एक ऐसा समय जब गेट्स एक छोटे से लड़के से लेकर माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बनने तक का सफर तय करते हैं। किताब में वो अपने परिवार, स्कूल, दोस्तों और उन अनुभवों की बात करते हैं जिन्होंने उन्हें इतना अमीर शख्स बनाया।

ये किताब सिर्फ उनकी कहानी नहीं है, बल्कि एक सबक भी है। इसमें बताया गया है कि सफलता के पीछे मेहनत, मौके और जुनून का हाथ होता है। गेट्स की बातें पढ़कर लगता है कि वो चाहते हैं कि हम भी अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करने की सोचें।

किताब की 5 बड़ी बातें

किताब के 5 सबसे खास पहलुओं पर नजर डालते हैं। ये आपको इसकी झलक देंगे और समझाएंगे कि ये किताब इतनी खास क्यों है।

अब इन पांचों बातों को थोड़ा विस्तार से समझते हैं, क्योंकि ये सिर्फ किताब की बातें नहीं, जिंदगी के निचोड़ हैं।

1. सही जगह, सही समय

बिल गेट्स का जन्म 1955 में सिएटल में हुआ। उनके पिता एक नामी वकील थे और मां सामाजिक कामों में लगी रहती थीं। गेट्स कहते हैं कि उन्हें अपने माता-पिता से ‘सपोर्ट और प्रेशर का सही मिश्रण’ मिला। वो लिखते हैं कि उनके मम्मी-पापा ने उन्हें भावनात्मक रूप से बढ़ने की आजादी दी और सामाजिक हुनर सीखने के मौके भी दिए। उन्होंने लिखा है कि उनका बचपन आसान नहीं था।

ये सुनकर लगता है कि गेट्स खुशकिस्मत थे कि उन्हें ऐसे माता-पिता मिले जो उन्हें समझने की कोशिश करते रहे।

2. शिक्षा की ताकत

गेट्स को उनके माता-पिता ने लेकसाइड स्कूल में भेजा, जो एक प्राइवेट स्कूल था। ये स्कूल उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बना। 1960 के दशक में, जब कंप्यूटर आम नहीं थे, इस स्कूल में एक टेलीटाइप टर्मिनल और जनरल इलेक्ट्रिक का टाइम-शेयरिंग कंप्यूटर था। गेट्स और उनके दोस्तों, जैसे पॉल एलन, ने यहीं से प्रोग्रामिंग शुरू की। बताते हैं कि कैसे वो और उनके दोस्त सिएटल की कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर लिखने लगे। स्कूल ने उन्हें वो मौका दिया जो शायद उस दौर में बहुत कम बच्चों को मिलता था।

3. दोस्त का साथ

पॉल एलन के साथ गेट्स की दोस्ती इस किताब का एक खूबसूरत हिस्सा है। दोनों ने मिलकर कंप्यूटर की दुनिया में कदम रखा। गेट्स लिखते हैं कि एक दिन एलन उनके पास आए और MITS के नए माइक्रो कंप्यूटर की बात की। ये खबर उनके लिए बिजली की तरह थी। दोनों ने हार्वर्ड के कंप्यूटर पर बेसिक प्रोग्रामिंग भाषा का इंटरप्रेटर लिखा। प्रोजेक्ट कामयाब रहा और यहीं से माइक्रोसॉफ्ट का सपना शुरू हुआ। किताब में एक दुखद बात भी है- उनके दोस्त केंट इवांस की मौत। गेट्स लिखते हैं कि केंट अगर जिंदा होते, तो शायद माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे को-फाउंडर होते।

4. जुनून और मेहनत

गेट्स की मेहनत की कोई सीमा नहीं थी। वो रात-रात भर कोडिंग करते थे। हार्वर्ड में वो 36 घंटे तक जागते थे ताकि पढ़ाई और प्रोग्रामिंग दोनों कर सकें। वो कहते हैं कि ये ‘अजीब’ लग सकता है, लेकिन यही उनकी ताकत थी। माइक्रोसॉफ्ट शुरू करने के बाद भी उनकी मेहनत जारी रही। उन्होंने पॉल एलन के साथ कंपनी के शेयर 64-36 में बांटे, क्योंकि उन्हें लगता था कि वो ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। बाद में उन्हें इस पर अफसोस हुआ, लेकिन उस वक्त ये उन्हें यही सही लगा।

5. सीखने की भूख

गेट्स हमेशा कुछ नया सीखना चाहते थे। वो मानते थे कि अगर आप सच में स्मार्ट हैं, तो कम मेहनत में अच्छे नंबर ला सकते हैं। लेकिन वो खुद बहुत पढ़ते थे, भले ही इसे छुपाते थे। स्कूल में वो दो सेट किताबें रखते थे- एक सेट स्कूल में और एक घर पर- ताकि बिना पढ़े कूल लगें। लेकिन सच तो ये था कि उनकी सीखने की भूख कभी खत्म नहीं हुई।

किताब की खासियतें

दिल से लिखी बातें: गेट्स की भाषा ऐसी है जैसे वो आपके सामने बैठकर अपनी कहानी सुना रहे हों।

छोटी-छोटी कहानियां: किताब में उनके बचपन के किस्से, जैसे नानी के साथ कार्ड खेलना, बहुत प्यारे हैं।

प्रेरणा: ये किताब आपको अपने सपनों के लिए मेहनत करने की हिम्मत देती है।

इतिहास का आलम: 1960-70 का वो दौर जब कंप्यूटर की दुनिया शुरू हो रही थी, वो इसमें खूबसूरती से दिखता है।

किताब की कमियां

कहानी अधूरी: किताब 1975 पर खत्म होती है, तो माइक्रोसॉफ्ट की बड़ी कहानी अगली किताब में आएगी।

सीमित दायरा: जो लोग गेट्स की पूरी जिंदगी जानना चाहते हैं, उन्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।

सपने देखो, मेहनत करो और हार मत मानो

‘सोर्स कोड- मेरी शुरुआत’ एक ऐसी किताब है जो बिल गेट्स को सिर्फ एक बिजनेसमैन नहीं, बल्कि एक इंसान के तौर पर दिखाती है। ये हमें बताती है कि सफलता मेहनत, मौकों और जुनून से मिलती है। किताब पढ़ते वक्त लगता है कि गेट्स हमें कह रहे हैं- ‘सपने देखो, मेहनत करो और हार मत मानो।’

अगर आप ये जानना चाहते हैं कि एक छोटा सा लड़का कैसे दुनिया का सबसे बड़ा नाम बना, तो ये किताब आपके लिए है। इसे पढ़िए, प्रेरणा लीजिए और अपनी कहानी शुरू कीजिए।

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