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Health tips : डॉक्टरी भाषा में इसे कलियुग की संजीवनी कह सकते हैं, लेकिन ये तब की तरह आज दुर्लभ नहीं है. बल्कि हर जगह दिखाई देती है. हर गली-कूचे में मिल जाएगी. बच्चा-बच्चा इसे जानता है.
बलिया. कुछ पेड़ चमत्कारी होते हैं. ये उन्हीं में से एक है. इसे कलियुग की संजीवनी कह सकते हैं, लेकिन ये उसकी तरह दुर्लभ नहीं है बल्कि हर जगह दिखाई देता है. आयुर्वेद के हिसाब से यह एक ऐसा औषधिय गुणों से भरपूर पेड़ है, जो डायबिटीज (शुगर) रोगियों के लिए लाभकारी है. शुगर लेवल को कंट्रोल करने में इसके पत्ते रामबाण हैं. राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की (MD और पीएचडी इन मेडिसिन) चिकित्साधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह कहती हैं कि सुबह खाली पेट नीम के ताजे पत्तों का रस पीने से ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है. नीम के पत्ते एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुणों की खान हैं. न केवल नीम के पत्ते फायदेमंद हैं, बल्कि इसका तना, छाल और फल जैसे सभी अंग उपयोगी हैं.
धीरे-धीरे, लेकिन जोरदार
डॉ. प्रियंका कहती हैं कि शुगर एक गंभीर बीमारी है. मरीज हर समय चिंतित रहते हैं. ऐसे रोगियों के लिए नीम बड़े काम आ सकती है. ये शरीर में ग्लूकोज की प्रक्रिया को बेहतर कर इंसुलिन के निर्भरता को धीरे-धीरे कम करती है. नीम की पत्तियों से बना काढ़ा, चाय, मेथी, जामुन और करेला जैसे दूसरे एंटी-डायबिटिक तत्वों के साथ मिलाकर सेवन करना और भी गुणकारी हो सकता है. इसका उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है. इसका सेवन करने से आंखों की समस्याएं, पेट के कीड़े और नसों से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम होती है.
मात्रा का पता होना जरूरी
नीम शरीर को डिटॉक्स कर रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी पावर बढ़ाता है. नीम का सही सेवन त्वचा रोग, मलेरिया, कृमि संक्रमण, पेट के अल्सर, हृदय रोग, दस्त, बुखार, बालों की समस्या, दांतों की सड़न, मधुमेह संबंधित अल्सर और मच्छर से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है. नीम का पेड़ इन बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद है, लेकिन अत्यधिक सेवन से सेहत बिगड़ भी सकती है. इसलिए आयुर्वेद एक्सपर्ट से सलाह लेकर ही इसका सेवन करें.
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