आने वाला है बड़ा संकट, इस तारीख को 137 साल पीछे चला जाएगा समय, ग्लोबल क्रैश का खतरा!

साल 2038 में एक बड़ा तकनीकी संकट पूरी दुनिया को हिला सकता है. यह कोई साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि एक वास्तविक तकनीकी खतरा है, जिसे “Year 2038 Problem” कहा जा रहा है. 19 जनवरी, 2038 को सुबह 3:14:07 बजे एक ऐसा वक्त आएगा जब कई कंप्यूटर सिस्टम्स का समय 137 साल पीछे चला जाएगा, यानी तारीख अपने आप 13 दिसंबर, 1901 हो जाएगी.

क्यों होगा ऐसा?

इस खतरे की जड़ में है 32-बिट कंप्यूटर सिस्टम, जो समय को यूनिक्स टाइम फॉर्मेट में स्टोर करते हैं. यूनिक्स टाइम 1 जनवरी, 1970 से अब तक के सेकंड्स को गिनता है. ये पुराने सिस्टम समय को 32-bit signed integer के रूप में स्टोर करते हैं, जिसकी अधिकतम सीमा होती है: 2,147,483,647 सेकंड. यह सीमा 19 जनवरी, 2038 को सुबह 3:14:07 बजे पूरी हो जाएगी. इसके बाद समय खुद-ब-खुद रीसेट होकर साल 1901 पर पहुंच जाएगा.

क्या होगा इसका असर?

शुरुआत में यह सिर्फ एक तारीख की गड़बड़ी लगेगी, लेकिन इसका असर बहुत खतरनाक हो सकता है:

डेटा करप्शन: गलत तारीख के कारण कई सॉफ्टवेयर डेटा को गलत तरीके से रिकॉर्ड कर सकते हैं.

सिस्टम क्रैश: तारीख गड़बड़ होने पर ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्लिकेशन काम करना बंद कर सकते हैं.

आर्थिक नुकसान: बैंकिंग सिस्टम्स और फाइनेंशियल डेटा गलत हो सकते हैं, जिससे अरबों का नुकसान हो सकता है.

जान का खतरा: अस्पतालों की मशीनें, हवाई जहाज का सॉफ्टवेयर, बिजली ग्रिड जैसे क्रिटिकल सिस्टम अगर 32-बिट पर हैं, तो ये गड़बड़ी जानलेवा साबित हो सकती है.

अब तक क्यों नहीं हुई इस समस्या की तैयारी?

इस समस्या का पता 2006 में ही लग गया था, लेकिन अब तक कई सिस्टम्स अपग्रेड नहीं हुए. इसके पीछे कई कारण हैं:

  1. महंगा अपग्रेड: पुराने सिस्टम को 64-बिट पर लाना बहुत महंगा है, खासकर विकासशील और गरीब देशों के लिए.

  2. सिस्टम बंद करने का खतरा: कई सिस्टम्स को अपग्रेड के लिए बंद करना पड़ता है, जो कई बार संभव नहीं होता -जैसे कि अस्पताल, एटीएम नेटवर्क या एयर ट्रैफिक कंट्रोल.

  3. पुराने उपकरण: कुछ पुराने हार्डवेयर को अपग्रेड करना तकनीकी रूप से भी मुश्किल है।

समाधान क्या है?

इस खतरनाक संकट से बचने के लिए एक ही रास्ता है:

32-बिट से 64-बिट सिस्टम में अपग्रेड करना.

64-बिट सिस्टम टाइम को 292 अरब साल तक संभाल सकते हैं, यानी इस तरह की दिक्कत दोबारा नहीं आएगी.

हालांकि, इसके लिए- वर्ल्डवाइड कोऑपरेशन जरूरी है. सरकारों और इंडस्ट्री को मिलकर काम करना होगा. जिन सिस्टम्स को तुरंत अपग्रेड नहीं किया जा सकता, उनके लिए स्पेशल सोल्यूशन तैयार करना होगा.

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