भाद्रपद कृष्ण पक्ष के प्रथम सोमवार को नगर शिवमय हो गया। भगवान पशुपतिनाथ की शाही पालकी यात्रा को देखने हजारों श्रद्धालु उमड़े और जगह-जगह पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया। भगवान महादेव के इस स्वरूप के दर्शन से नगरवासियों को दिव्य अनुभूति हुई। यात्रा दोप
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इस अवसर पर हरिहर मिलन के रूप में भगवान भोलेनाथ और लक्ष्मी नारायण की भव्य झांकी सजाई गई। जय स्तंभ चौराहा पर शिव की आरती के बाद श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया। लक्ष्मीनारायण मंदिर के महंत भवानीपुरी और नर्मदा पुरी ने पूजा-अर्चना किया।
भक्तों ने पीले वस्त्र धारण कर धार्मिक एकता और संस्कृति का प्रतीक प्रस्तुत किया। ताशे, डमरू और भक्ति गीतों की धुन पर श्रद्धालु भक्तिभाव से नृत्य करते हुए चले। मंदिर समिति ने इस वर्ष पालकी यात्रा का आयोजन श्रावण की बजाय भादों के प्रथम सोमवार से प्रारंभ करने का निर्णय लिया था, जिसे भक्तों का भरपूर समर्थन मिला।
भक्ति, आस्था और परंपरा का संगम पालकी यात्रा में नगरवासी पीले परिधान पहनकर एकरूपता और सामाजिक समरसता का संदेश देते दिखाई दिए। ताशे और डमरू की गूंज, भक्ति संगीत और जयघोषों से वातावरण शिवमय हो गया। यात्रा में पारंपरिक नृत्य करते हुए भक्ति भाव प्रकट किया, वहीं युवाओं ने अनुशासन और श्रद्धा का परिचय दिया। यह यात्रा न केवल आस्था का पर्व थी।
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