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त्योहारों की रौनक में गुजिया का स्वाद न हो तो मिठास अधूरी सी लगती है. मावे, नारियल और मेवों से भरी, कुरकुरी सुनहरी गुझिया न सिर्फ विंध्य की परंपरा है बल्कि हर मेहमान का दिल जीतने वाली मिठाई भी है. अगर इसे सही त…और पढ़ें
गुजिया: स्वाद और परंपरा का संगम
स्थानीय निवासी मीणा द्विवेदी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि बघेलखंड में गुजिया बनाने का चलन बहुत पुराना है. यहां के लोग इसे पारंपरिक तरीके से तैयार करते हैं, इसकी खासियत है कि सही तरीके से स्टोर करने पर यह कई दिनों तक ताज़ा रहती है जिससे रोज़ाना इसके स्वाद का आनंद लिया जा सकता है.
गुजिया बनाने के लिए सबसे पहले 2 कटोरी मैदा या फर आटा लें. उसमें एक चम्मच नमक और तीन चम्मच देसी घी डालकर अच्छे से मिक्स करें. फिर पानी डालकर आटा गूंथ लें और गीले कपड़े से ढककर रख दें.
स्टफिंग के लिए सूजी या आटा को धीमी आंच पर भूनें, जब भीनी सी सुगंध आने लगे तो उसे निकाल लें. उसमें एक कटोरी मावा, काजू, बादाम, घिसा नारियल और स्वादानुसार शक्कर डालकर मिक्स करें. अब उस रखें हुए आटे की छोटी-छोटी लोई बेल लें. गुजिया के सांचे या हाथों से आकार देकर उसमें एक-एक चम्मच स्टफिंग भरें. किनारों पर हल्का पानी लगाकर अच्छे से बंद करें ताकि तलते समय गुजिया फटे नहीं.
स्वाद से लेकर सेहत तक का ध्यान
तैयार गुझियों को गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. इसे ठंडा होने पर एयरटाइट डिब्बे में रख दें. बघेलखंड में कई परिवार त्योहार से कुछ दिन पहले ही गुजिया बनाकर रख लेते हैं ताकि मेहमानों को तुरंत परोसी जा सके. यह न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि इसमें मौजूद मावा और मेवे ऊर्जा भी देते हैं.
कई वर्षों से विंध्य क्षेत्र की यह होम मेड मिठाई लोगों की पहली पसंद रही है. हर त्योहार पर इसकी मांग बढ़ जाती है और लोग बाज़ार से ज्यादा घर की बनी गुजिया को प्राथमिकता देते हैं. इस बार त्योहार पर अपने हाथों से बनी गुजिया से रिश्तों में मिठास घोलें और घर के स्वाद को ज़िंदा रखें.
Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digital), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked a…और पढ़ें
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