Aja Ekadashi 2025: अजा एकादशी व्रत: जो खोया वह फिर से जरूर मिलेगा, जानें हरिश्चंद्र की कथा

श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा पाने के लिए एकादशी का व्रत सबसे शुभ होता है. हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. सावन माह की समाप्ति के बाद भाद्रपद (Bhadrapada) महीने की शुरुआत हो जाएगी और इसी महीने अजा एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा.

अजा एकादशी व्रत तिथि (Aja Ekadashi 2025 Date)

अजा एकादशी का व्रत हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. पंचांग के मुताबिक, एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अगस्त शाम 05:22 से होगी और 19 अगस्त को दोपहर 03:32 पर समाप्त हो जाएगी. उदयातिथि के अनुसार, इस साल अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त 2025 को किया जाएगा. वहीं व्रत पारण के लिए अगले दिन यानि 20 अगस्त को सुबह 05:53 से 08:29 मिनट तक का समय रहेगा.

अजा एकादशी व्रत का महत्व (Aja Ekadashi Importance)

अजा एकादशी व्रत को बहुत ही पुण्यकारी और लाभकारी व्रत माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत से पापों का नाश हो जाता है और सुख-संपदा में वृद्धि होती है. साथ ही इस व्रत के प्रभाव से जातक को अपना खोया हुआ सबकुछ फिर से वापिस भी मिल जाता है, जिस तरह से राजा हरिश्चंद्र को प्राप्त हुआ. इसलिए अजा एकादशी व्रत में इस कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, तभी आपको इस व्रत का महात्मय पता चलेगा.

अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र हुआ करते थे. उनके पास धन-धान्य की कोई कमी न थी. लेकिन एक समय ऐसा आया जब उनका पूरा राजपाट खत्म हो गया. यहां तक कि पत्नी, पुत्र और परिवार सब छूट गए. हरिश्चंद्र राजा से एक चांडाल का दासी बन गया.

एक समय गांव में गौतम ऋषि का आगमन हुआ. हरिश्चंद्र ने उन्हें प्रणाम कर अपनी समस्या बताई. गौतम ऋषि ने हरिश्चंद्र की सारी बात सुनकर भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी व्रत करने की सलाह. ऋषि ने कहा कि इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होगा और आपका खोया हुआ जब कुछ फिर से वापिस मिल जाएगा. ऋषि के बताए अनुसार हरिश्चंद्र ने विधिपूर्वक भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी व्रत रख किया और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की.

अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से हरिश्चंद्र से सभी पाप नष्ट हो गए. साथ ही राजा का परिवार और राजपाट भी दोबारा प्राप्त हो गया. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से हरिश्चंद्र के मृत्यु के बाद बैकुण्ठ की प्राप्ति हुई. इसलिए कहा जाता है कि अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को खोया हुआ सबकुछ वापिस मिल जाता है.

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