वॉशिंगटन डीसी40 मिनट पहले
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ट्रम्प का यह बयान गुरुवार देर रात व्हाइट हाउस में मीडिया से बात करते हुए दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से ट्रेड डील पर बातचीत से इनकार कर दिया है। ट्रम्प ने कहा कि जब तक टैरिफ विवाद का हल नहीं निकल जाता, बात शुरू नहीं होगी।
इससे पहले मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारत से ट्रेड डील पर बातचीत के लिए अमेरिकी अधिकारियों का एक दल इस महीने भारत आने वाला है।
भारत पर अब कुल अमेरिकी टैरिफ 50% हो गया है। ट्रम्प ने बुधवार को एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर 25% टैरिफ बढ़ा दिया था। बढ़ा हुआ टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा।
इसके अलावा गुरुवार से भारत पर 25% टैरिफ लागू हो गया है। ट्रम्प के आदेश में कहा गया है कि रूसी तेल की खरीद की वजह से भारत पर यह एक्शन लिया गया है।
विदेश विभाग बोला- भारत रणनीतिक साझेदार, खुली बातचीत जारी रहेगी
अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को एक रणनीतिक साझेदार बताया है। मंत्रालय के प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ स्पष्ट और खुली बातचीत कर रहा है, भले ही टैरिफ विवाद के चलते दोनों देशों के संबंधों में तनाव बना हुआ है।
टॉमी के मुताबिक ट्रम्प ने व्यापार असंतुलन और रूसी तेल की खरीद को लेकर अपनी चिंताएं बहुत स्पष्ट तरीके से जाहिर की हैं। साथ ही सीधी कार्रवाई (भारत पर टैरिफ) भी की है।
टॉमी ने मतभेदों को सीधे संवाद के जरिए सुलझाने के लिए कहा है।
ट्रम्प के सलाहकार ने भारत को टैरिफ किंग कहा
ट्रम्प के सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को ‘टैरिफ का महाराजा’ कहा है।
नवारो ने गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत अमेरिकी सामानों पर दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ और नॉन-टैरिफ बाधाएं लगाता है। इससे अमेरिकी प्रोडक्ट्स को भारतीय मार्केट में एंट्री करने में मुश्किल होती है।
नवारो ने कहा कि भारत अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल रूसी तेल खरीदने के लिए करता है। फिर रूस उन डॉलर का इस्तेमाल हथियार बनाने में करता है, जिनसे यूक्रेन में लोग मारे जा रहे हैं।
इसके बाद अमेरिकी टैक्सपेयर्स को यूक्रेन की रक्षा के लिए हथियारों पर खर्च करना पड़ता है। यह गणित ठीक नहीं है।
चीन पर समान कार्रवाई न करने के सवाल पर नवारो ने कहा कि चीन पर पहले से ही 50% से ज्यादा टैरिफ हैं। हम ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते जिससे हमें नुकसान हो।
भारत पर सेंकेडरी सैंक्शंस लगाने के चेतावनी
ट्रम्प ने भारत पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। उन्होंने बुधवार रात पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा,

अभी सिर्फ 8 घंटे ही हुए हैं। अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है। बहुत सारे सेकेंडरी सैंक्शंस आने वाले हैं।
ट्रम्प ने भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लागू करने को लेकर पूछे गए सवाल पर यह जवाब दिया। ट्रम्प से पूछा गया था कि अमेरिका ने भारत पर ही क्यों सख्ती की, जबकि चीन जैसे और देश भी रूस से तेल खरीद रहे हैं।
क्या हैं सेकेंडरी सैंक्शंस?
ये वो प्रतिबंध होते हैं जो किसी देश पर सीधे नहीं, बल्कि किसी तीसरे देश से उसके व्यापारिक रिश्तों के चलते लगाए जाते हैं। यानी अमेरिका सीधे भारत को टारगेट न करके, उन कंपनियों और बैंकों पर सख्ती कर सकता है जो रूस से तेल खरीद में शामिल हैं।
भारत ने रूस-यूक्रेन जंग के बावजूद रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है। अमेरिका लंबे समय से भारत पर इस फैसले को लेकर दबाव बना रहा है। हालांकि भारत हमेशा कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें उसके राष्ट्रीय हित से जुड़ी हैं।
विदेश मंत्रालय बोला- अमेरिकी कार्रवाई नाजायज
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस कार्रवाई को गलत बताया है।
मंत्रालय ने बुधवार रात बयान जारी कर कहा-

अमेरिका ने हाल ही में भारत के रूस से किए जा रहे तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने पहले ही साफ कर दिया है कि हम बाजार की स्थिति के आधार पर तेल खरीदते हैं और इसका मकसद 140 करोड़ भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगा रहा है, जबकि कई और देश भी अपने हित में यही काम कर रहे हैं। हम दोहराते हैं कि ये कदम अनुचित, नाजायज और गलत हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।

ट्रम्प के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर में लिखा है-
“भारत सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से रूस से तेल आयात कर रही है। ऐसे में अमेरिका में दाखिल होने वाले भारत के सामानों पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लागू होगा।
हालांकि कुछ खास परिस्थितियों में इस टैरिफ से छूट भी दी जाएगी जैसे कि यदि कोई सामान पहले ही समुद्र में लद चुका है और रास्ते में है, या यदि वह कुछ खास तारीख से पहले अमेरिका में पहुंच चुका है।
इससे पहले मार्च 2022 में अमेरिका ने एक आदेश जारी कर रूसी तेल और उससे जुड़े उत्पादों के अपने देश में आयात पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
अब ट्रम्प प्रशासन ने यह पाया कि भारत उस रूसी तेल को खरीद रहा है, जिससे रूस को आर्थिक मदद मिल रही है। इस वजह से अब अमेरिका ने भारत पर यह नया टैरिफ लगाने का फैसला किया है।”

कुछ भारतीय सामानों पर टैरिफ लागू नहीं होगा
- अप्रैल 2025 में जारी एक और आदेश में कुछ खास उत्पादों को पहले ही टैरिफ से छूट दे दी गई थी, वे छूट अब भी जारी रहेंगी।
- इन सामानों में सेमी-कंडक्टर्स, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, फार्मास्युटिकल्स, ऑटोमोटिव पार्ट्स, तांबा और अन्य धातु व खनिज शामिल हैं।
- इसका मतलब है कि भारत से होने वाले इन सामानों के भेजे जाने पर अब भी एक्स्ट्रा टैरिफ लागू नहीं होगा।
- इस आदेश में यह भी बताया गया है कि अगर भविष्य में जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति इसमें संशोधन कर सकते हैं, यानी टैरिफ की दर बदल सकते हैं या और नए प्रावधान जोड़ सकते हैं।

मेडिसिन पर 250% टैरिफ की धमकी दी थी
ट्रम्प ने सोमवार को भारत के फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स पर 250% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रम्प ने CNBC को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वे शुरू में फार्मास्युटिकल्स पर छोटा टैरिफ लगाएंगे, लेकिन फिर इसे एक से डेढ़ साल में बढ़ाकर 150% और फिर 250% कर देंगे।
ट्रम्प ने कहा था- हम चाहते हैं कि दवाइयां हमारे देश में ही बनाई जाएं। उनका मानना है कि अमेरिका फार्मा प्रोडक्ट्स के लिए बहुत ज्यादा विदेशों पर निर्भर है, खासकर भारत और चीन पर। इस टैरिफ से भारतीय फार्मा सेक्टर पर बुरा असर पड़ सकता है।
अमेरिका भारत से जेनेरिक दवाइयां, वैक्सीन और एक्टिव इंग्रेडिएंट्स खरीदता है। 2025 में अमेरिका को भारत का फार्मास्युटिकल निर्यात 7.5 अरब डॉलर (करीब 65 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा रहा।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली सभी जेनेरिक दवाओं में से करीब 40% भारत से आती हैं। यह खबर भी पढ़ें…

भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार
भारत, चीन के बाद रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से सिर्फ 0.2% (68 हजार बैरल प्रतिदिन) तेल इम्पोर्ट करता था। मई 2023 तक यह बढ़कर 45% (20 लाख बैरल प्रतिदिन) हो गया, जबकि 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत हर दिन रूस से 17.8 लाख बैरल तेल खरीद रहा है।
पिछले दो साल से भारत हर साल 130 अरब डॉलर (11.33 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा का रूसी तेल खरीद रहा है।

टैरिफ का भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों, जैसे दवाइयां, कपड़े और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स पर 50% टैक्स लगेगा। इससे भारतीय सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। उनकी मांग कम हो सकती है। भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस (निर्यात ज्यादा, आयात कम) भी कम हो सकता है।
- स्मार्टफोन: भारत 2025 की दूसरी तिमाही में अमेरिका को स्मार्टफोन सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है, जिसने चीन को पीछे छोड़ दिया। भारत के स्मार्टफोन निर्यात ने अमेरिका के इस सेगमेंट में 44% हिस्सा हासिल किया है। अभी इनपर टैरिफ नहीं लगेगा, लेकिन भविष्य में 25% टैरिफ से इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ सकता है।
- हीरे और ज्वेलरी: भारत से अमेरिका को 9 अरब डॉलर (करीब 79 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा की ज्वेलरी निर्यात होती है, जिसमें प्राकृतिक और लैब में बने हीरे, सोने-चांदी के गहने और रंगीन रत्न शामिल हैं। नए टैरिफ से इनके दाम बढ़ सकते हैं, जिससे भारतीय ज्वेलरी की मांग कम हो सकती है और जॉब्स पर भी खतरा मंडरा सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: भारत से अमेरिका को करीब 14 अरब डॉलर (करीब 1.2 लाख करोड़ रुपए) के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स जैसे लैपटॉप और सर्वर, निर्यात होते हैं। हालांकि अभी ये प्रोडक्ट्स ड्यूटी-फ्री हैं क्योंकि अमेरिका की सेक्शन 232 जांच चल रही है, लेकिन अगर भविष्य में इन पर टैरिफ लगता है, तो भारत की लागत-प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है।
- फार्मास्युटिकल्स (दवाइयां): भारतीय फार्मा सेक्टर दुनिया भर में सस्ती दवाइयों का बड़ा सप्लायर है। अमेरिका भारत से जेनेरिक दवाइयां, वैक्सीन और एक्टिव इंग्रेडिएंट्स आयात करता है, जिसका निर्यात 2025 में 7.5 अरब डॉलर (करीब 65 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा रहा। अगर फार्मा पर टैरिफ लगता है, तो ये भारत के निर्यात के लिए बड़ा झटका होगा, क्योंकि अमेरिका भारत के फार्मा निर्यात का 30% से ज्यादा हिस्सा लेता है।
- टेक्सटाइल और कपड़े: भारत से अमेरिका को हस्तनिर्मित सिल्क से लेकर औद्योगिक रूप से बने कॉटन कपड़ों तक का निर्यात होता है। इसका मूल्य 2025 में 2.5 अरब डॉलर (करीब 22 हजार करोड़) से ज्यादा था। 25% टैरिफ से इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे भारतीय टेक्सटाइल की मांग पर असर पड़ सकता है और ये सेक्टर कमजोर हो सकता है।

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