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Khargone News: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी लंका पर चढ़ाई से पहले समुद्र तट पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर भोलेनाथ का पूजन किया था. वहीं भगवान शिव का परम भक्त रावण भी महादेव को प्रसन्न करने के लिए…और पढ़ें
पंडित राम अत्रे ने लोकल 18 को बताया कि पार्थिव शिवलिंग का पूजन सावन मास में बेहद फलदायी होता है. शास्त्रों में भी वर्णन है कि पार्थिव शिवलिंग का अभिषेक करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. यही कारण है कि यह पूजा विशेष रूप से श्रावण मास में की जाती है.
पूरे आयोजन में श्रद्धा और भक्ति का ऐसा संगम देखने को मिला, जो आज के समय में दुर्लभ है. आयोजन में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था. महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी ने मिलकर मिट्टी से शिवलिंग बनाए. पूरा मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ के जयकारों गूंज उठा. भक्तों ने इसे सावन का सबसे अद्भुत दृश्य बताया और कहा कि यह आयोजन आगे भी हर साल किया जाना चाहिए.
भगवान श्रीराम और रावण ने भी बनाए थे पार्थिव शिवलिंग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी लंका पर चढ़ाई से पहले समुद्र तट पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का पूजन किया था. वहीं रावण, जो भगवान शिव का परम भक्त था, वह भी पार्थिव शिवलिंग का शिव को प्रसन्न करने के लिए अभिषेक करता था. इससे यह पूजा न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है.
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