नई दिल्ली26 मिनट पहले
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इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसी रिफाइनरियों ने अगले बाइंग साइकल में रूस से तेल स्पॉट मार्केट से न खरीदने का फैसला किया है।
भारत की सरकारी तेल रिफाइनरियों ने रूस से कच्चे तेल की खरीद अभी के लिए रोक दी है। इसका कारण अमेरिका के बढ़ते दबाव को माना जा रहा है। रूस से तेल खरीदने की वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।
अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद पूरी तरह से बंद कर दे। यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए मॉस्को पर दबाव बनाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है।
स्पॉट मार्केट से तेल नहीं खरीदेंगी सरकारी रिफाइनरियां
इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी रिफाइनरियों ने अगले बाइंग साइकल में रूस से तेल स्पॉट मार्केट (तत्काल खरीद) से न खरीदने का फैसला किया है। यह फैसला अक्टूबर में लोड होने वाले कच्चे तेल की खरीद पर लागू होगा।
इस मामले से जुड़े लोगों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि ये रिफाइनरियां सरकार से साफ दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार कर रही हैं, ताकि नए ऑर्डर दे सकें। इन लोगों ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त रखी, क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है।
हालांकि, निजी रिफाइनरियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी, जो रूस की रोसनेफ्ट से जुड़ी हैं, अपने पुराने अनुबंधों के तहत तेल खरीद जारी रखे हुए हैं।
स्पॉट मार्केट वह बाजार है जहां तेल, गैस जैसे सामान की खरीद-बिक्री तुरंत होती है और डिलीवरी भी जल्दी हो जाती है। इसमें कीमतें मौजूदा बाजार दरों पर तय होती हैं।

रूस से तेल खरीद रहा भारत, इसलिए पेनल्टी लगाई
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के निर्यात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह कदम भारत को रूस के साथ तेल व्यापार जारी रखने की सजा के तौर पर उठाया गया है। दिलचस्प बात ये है कि चीन के खिलाफ अमेरिका ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि वो रूस का एक और बड़ा तेल खरीदार है।
रूस-यूक्रेन जंग के बाद भारत ने बढ़ाया रूस से तेल आयात
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रूस से तेल आयात को लगभग शून्य से बढ़ाकर अपने चरम पर 20 लाख बैरल प्रति दिन से ज्यादा कर लिया था। लेकिन अब, रिफाइनरियों के नए ऑर्डर देने में हिचकिचाहट के कारण यह आंकड़ा कम हो सकता है।
इस मामले से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत अगर रूस से तेल खरीदी कम करता है तो रूस को सस्ते दामों पर तेल बेचना पड़ सकता है। शायद वह चीन को ज्यादा ऑफर दे।
रूसी तेल की जगह मिडिल ईस्ट का तेल ले सकता है भारत
भारतीय रिफाइनरियां अगर रूस से तेल की खरीद कम करती है या रोकती है तो वह अमेरिका, मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी देशों से तेल खरीद का ऑप्शन चुन सकती है। वहीं निजी रिफाइनरियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने इस मामले को लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा है।
भारत पेट्रोलियम के पूर्व रिफाइनरी निदेशक आर. रामचंद्रन ने ब्लूमबर्ग को बताया कि अल्पकालिक रुकावटों को संभाला जा सकता है। उन्होंने कहा, “कुछ समय के लिए ऑपरेशनल दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन तेल की आपूर्ति और मांग का संतुलन बन जाएगा।”
उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट की भौगोलिक निकटता और तेल की कई वैराइटी होने के कारण वह भारतीय रिफाइनरियों के लिए स्वाभाविक विकल्प है।
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