बुधवार को एक दिन में 8 विधेयकों को मंजूरी दी गई। वहीं, कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
अगर आप शपथ पत्र बनवाना चाहते हैं तो अब आपको 500 रुपए तक खर्च करना पड़ेगा। किरायानामा और प्राॅपर्टी के लिए किए जाने वाले एग्रीमेंट पर भी 1500 से 7 हजार तक चुकाना पड़ेंगे।
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दरअसल, राज्य सरकार ने भारतीय स्टाम्प मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी है। विधेयक में सेवाओं पर 400 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। सबसे अधिक वृद्धि एग्रीमेंट दस्तावेजों में लगने वाले स्टाम्प में की है।
सरकार ने पंजीयन विभाग की 12 सेवाओं में बदलाव का फैसला किया है। जिसमें 9 का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
विधानसभा में बुधवार को इस विधेयक समेत 8 विधेयकों को मंजूरी दी है। इधर, कांग्रेस ने शपथ पत्र, किराएनामे और एग्रीमेंट के लिए किए जाने वाले बदलावों का विरोध करते हुए विधानसभा से वॉकआउट किया है।
भारतीय स्टाम्प मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक-2025 अब तक 50 रुपए के स्टाम्प टिकट के साथ 200 से 300 रुपए में शपथ पत्र बन जाता है। इसमें शपथपत्र में लिखी जानकारी और नोटरी की फीस शामिल होती है। लेकिन, अब 50 रुपए के बजाय 200 रुपए की स्टाम्प टिकट लगेगी।
ऐसे में शपथ पत्र बनवाने वाले को 500 रुपए तक चुकाने पड़ेंगे। इसी तरह अभी 1000 रुपए के स्टाम्प टिकट में किराया नामा और प्रॉपर्टी एग्रीमेंट हो जाते थे लेकिन अब प्रॉपर्टी एग्रीमेंट की स्टाम्प टिकट 5000 रुपए तय हो गई है।
ऐसे में नोटरी और दस्तावेज तैयार करने के एक से दो हजार रुपए तक अधिक चुकाने होंगे। जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।

विधायक निधि और वेतन-भत्तों को लेकर कमेटी बनेगी विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की मांग पर कहा कि सदस्य सुविधा समिति ने विधायक निधि और वेतन-भत्तों को लेकर प्रस्ताव दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस पर चर्चा कर आगे फैसला लेने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस पर कमेटी बनाकर निर्णय लेंगे और आगामी बजट में इस पर फैसला करेंगे।
मध्य प्रदेश माल और सेवा कर संशोधन विधेयक-2025 कुछ विशेष वस्तुओं की मेन्यूफैक्चरिंग तथा इन वस्तुओं के व्यवसाय पर प्रभावी नियंत्रण के लिए यूनीक आइडेंटिफिकेशन मार्किंग जैसे मेकेनिज्म अपनाया जाना तय किया है। इस संशोधन से इन वस्तुओं का अनाधिकृत उत्पादन खरीदी बिक्री को रोका जा सकेगा। राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।
स्पेशल इकोनॉमिक जोन थ्री ट्रेड वेयर हाउसिंग जोन से किसी व्यक्ति को एक्सपोर्ट क्लियरेंस से पहले सप्लाई की जाती है या डोमेस्टिक टैरिफ एरिया डीटीए को सप्लाई की जाती है तो इस ट्रांजेक्शन पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त कि ऐसी गतिविधियों पर इस संशोधन को लागू होने के पहले वसूल किये गये कर की वापसी नहीं की जाएगी।

रजिस्ट्रीकरण मध्य प्रदेश संशोधन विधेयक-2025 वर्तमान प्रावधान में परिवार की परिभाषा के अंतर्गत माता, पिता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन, पुत्र वधू, पौत्री, नातिन एवं पौत्र, नाती को सम्मिलित किया है। जबकि विधवा भाभी एवं उनके बच्चों को शामिल नहीं किया है। जिसके कारण परिवार में संपत्ति विभाजन की दशा में विधवा भाभी एवं उनके बच्चों से स्टाम्प ड्यूटी 0.5 प्रतिशत के स्थान पर 5 प्रतिशत ली जाती थी।
अब नवीन संशोधन से आर्टिकल 18 परिवार में संपत्ति विभाजन में विधवा भाभी और उसके बच्चों को परिवार की परिभाषा में शामिल किया है। इसलिए उन्हें भी अब 0.5 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी चुकाना पड़ेगी।
विधिक सहायता और विधिक सलाह निरसन विधेयक-2025 इस विधेयक को सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा 7 साल पहले बनाए गए कानून के आधार पर निरस्त कर दिया है क्योंकि एक ही तरह के दो विधेयक होने से असमंजस की स्थिति बन रही है। अब केंद्र सरकार द्वारा प्रभावी विधेयक के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों को विधिक सहायता और विधिक सलाह मिलेगी।

विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने वाकआउट कर दिया।
मध्य प्रदेश जन विश्वास उपबंधों का संशोधन विधेयक-2025 इस विधेयक को लाने के बाद सरकार का दावा है कि औद्योगिक निवेश में वृद्धि होगी और रोजगार के अवसर बढे़ंगे। सरकार ने इसके पहले 2024 में जन विश्वास विधेयक में बदलाव किए थे और अब 2025 में अलग-अलग 80 धाराओं में बदलाव कर आपराधिक सजा को जुर्माने में बदला गया है।
सरकार ने सदन में कहा-

इन बदलावों से कोर्ट को मुकदमों के बोझ से राहत मिलेगी और लोगों को अकारण जेल और सजा से बचाया जा सकेगा। जुर्माने से पेंडिंग मामलों का निराकरण तेजी से होगा।

मध्य प्रदेश माध्यमस्थ अधिकरण संशोधन विधेयक-2025 यह संशोधन मुख्य रूप से उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश, जबलपुर खंडपीठ द्वारा 21 अप्रैल 2025 को पारित किया था। संजय कुमार पटेल बनाम मध्यप्रदेश राज्य के प्रकरण में यह निर्णय लिया था। व्यावसायिक विवादों के त्वरित निपटारे के लिए मध्यप्रदेश माध्यमस्थ अधिकरण में लंबित मामलों में शीघ्र सुनवाई करेगा।
इसके लिए स्वीकृत पदों पर शीघ्र नियुक्तियां करने का काम होगा। उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के एक न्यायाधीश इस समिति में होंगे। मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन इस समिति में सदस्य रहेंगे। सचिव, विधि एवं विधायी कार्य, समिति में सदस्य रहेंगे।
मध्यप्रदेश माध्यमस्थ अधिकरण तथा लोक निर्माण विभाग सचिव, मध्यप्रदेश शासन इस समिति के सदस्य होंगे। इस समिति के द्वारा व्यावसायिक विवादों के समय जो अधिक खर्च होता था, वह अधिक धन खर्च नहीं हो और निर्णय विलम्ब से न हो, पक्षकारों की आर्थिक एवं मानसिक हानि न हो, इसका ध्यान रखा जाए।
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