Hariyali Teej Green Colour: हरियाली तीज पर महिलाएं क्यों पहनती हैं हरी चूड़ियां और कपड़े? जानें क्या है इस रंग का महत्व

Hariyali Teej Green Colour: हरियाली तीज हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं के लिए एक बेहद पवित्र और भावनात्मक पर्व माना जाता है. यह त्योहार प्रेम, समर्पण और वैवाहिक सुख का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना करते हुए दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और खास पूजा-पाठ करती हैं. बता दें कि इस साल यानी 2025 में हरियाली तीज 27 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी. ऐसे में अगर आप भी यह सोच रहे हैं कि हरा रंग इस पर्व पर क्‍यों पहना जाता है, तो हम बताते हैं इसकी वजह.

हरे रंग का महत्व क्यों?
हरियाली तीज में “हरी” शब्द ही इसका संकेत देता है. सावन के महीने में प्रकृति चारों ओर हरियाली से भर जाती है और यह पर्व उसी हरियाली की तरह जीवन में ताजगी और ऊर्जा लाने का प्रतीक है. हरा रंग जीवन, उर्वरता, सौभाग्य, शांति, प्रेम और समृद्धि का रंग माना जाता है.

हिंदू परंपरा में यह रंग भगवान शिव का प्रिय रंग भी माना गया है और इसे शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत समझा जाता है. इसीलिए नवविवाहित महिलाओं को इस दिन हरी साड़ी, हरी चूड़ियां और हरे आभूषण पहनने की परंपरा निभाई जाती है.

हरियाली तीज का सीधा संबंध सावन और वर्षा ऋतु से भी है. इस मौसम में धरती के नवजीवन होता है और चारों ओर हरियाली, फूल, पेड़-पौधों का उल्लास नजर आता है. इसलिए महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनकर प्रकृति के इस उत्सव में हिस्‍सा लेती हैं.

हरियाली तीज की कथा और परंपरा
यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कई वर्षों तक कठिन तप किया था. अंत में उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को यह विश्वास होता है कि अगर वह श्रद्धा और सच्चे मन से यह व्रत करें, तो उन्हें शिव जैसे गुणवान पति की प्राप्ति होगी या पति की आयु लंबी होगी.

कैसे मनाया जाता है तीज का पर्व?
इस दिन सुबह-सुबह महिलाएं स्नान कर नए कपड़े पहनती हैं, विशेष रूप से हरे रंग के. हाथों में मेहंदी रचाई जाती है, पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, और झूले झूलने की परंपरा निभाई जाती है. शाम को महिलाएं सोहाग की 16 शृंगार में सजकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं.

विवाहित महिलाओं को उनके मायके से “सिंदारा” भेजा जाता है, जिसमें चूड़ियां, मेहंदी, बिंदी, कपड़े और घेवर जैसे पारंपरिक पकवान होते हैं. इस दिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में खास रौनक देखने को मिलती है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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