बरसात और बीमारी: रसोई में हर मर्ज का इलाज, आयुर्वेद एक्सपर्ट से जानें उपाय

कोरबा. बारिश का मौसम जहां एक ओर सुकून और ठंडक लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह कई मौसमी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देता है. हवा में बढ़ती नमी बैक्टीरिया और फंगस के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बनाती है, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी, पेट दर्द और त्वचा संक्रमण जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं. ऐसे में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को मजबूत बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. आयुर्वेद मानता है कि हमारी रसोई में ही ऐसे कई औषधीय गुण वाले मसाले और जड़ी-बूटियां मौजूद हैं, जो मानसून में शरीर को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में कारगर सिद्ध हो सकती हैं.

छत्तीसगढ़ के कोरबा के प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ नागेंद्र नारायण शर्मा ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि मानसून के दौरान वातावरण में नमी और तापमान में होने वाले बदलाव के कारण बैक्टीरिया, वायरस और फंगस की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है. यह स्थिति हमारे पाचन तंत्र को कमजोर करती है और शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी घटाती है. यही कारण है कि इस मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, त्वचा संबंधी समस्याएं और पेट के संक्रमण तेजी से फैलते हैं, खासकर उन लोगों में जिनकी इम्युनिटी पहले से कमजोर होती है.

मानसून में सेहत को बनाए रखें मजबूत
डॉ शर्मा के अनुसार, मानसून में कुछ विशेष हर्ब्स और मसालों का नियमित सेवन हमें स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है. आयुर्वेद में इन्हें ‘इम्युनिटी बूस्टर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं.

तुलसी और अदरक: सुबह की शुरुआत एक कप तुलसी-अदरक की चाय से करें. यह गले को आराम देती है, श्वसन तंत्र को मजबूत करती है और संक्रमण से बचाती है.

हल्दी: दोपहर के भोजन में हल्दी का नियमित उपयोग करें. इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण पाचन को सुधारते हैं और शरीर की अंदरूनी सूजन को कम करते हैं. रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीना भी बहुत फायदेमंद है.

गिलोय: इसे आयुर्वेद में ‘अमृत वल्ली’ भी कहा जाता है. गिलोय का काढ़ा या टेबलेट लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है और यह मौसमी बुखार, डेंगू और अन्य वायरल संक्रमणों से बचाव में सहायक है.

पुदीना: दोपहर के खाने में पुदीने की चटनी या पुदीने का पानी शामिल करें. यह पाचन को दुरुस्त रखता है और पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है.

लेमनग्रास और दालचीनी: शाम की चाय में लेमनग्रास या दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं. ये दोनों भी इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक हैं और शरीर को गर्माहट प्रदान करते हैं.

डॉ नागेंद्र नारायण शर्मा ने यह भी बताया कि इन हर्ब्स को रोटेशन में लेना ज्यादा फायदेमंद होता है, यानी एक ही चीज का लगातार सेवन करने के बजाय उनमें बदलाव करते रहना चाहिए ताकि शरीर को विभिन्न पोषक तत्व मिल सकें. कुल मिलाकर मानसून के दौरान अपनी रसोई में मौजूद इन प्राकृतिक औषधियों का समझदारी से उपयोग कर हम न केवल मौसमी बीमारियों से बच सकते हैं बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी अदम्य बनाकर एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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