एक गायब बेटा-दो जली लाशें, कौन था कातिल?: पुलिस के लिए खौफनाक पहेली; ऐसा अपराध, जिसका हर टुकड़ा अलग कहानी – Madhya Pradesh News

मध्यप्रदेश के गुना में वरुण वीथी कॉलोनी से शुरू एक युवक की गुमशुदगी का केस कुछ ही दिनों में दो अधजली लाशों तक पहुंच गया। पहले एक युवक गायब हुआ, फिर रेलवे पटरी के नीचे एक लाश मिली। बाद में मकरावदा की पहाड़ियों पर एक और अधजली लाश मिली।

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तीन चेहरे, तीन कहानियां, एक लापता, दो मौतें और उनके बीच एक ऐसा रहस्य, जिसने पुलिस और पूरे शहर को सकते में डाल दिया। यह सिर्फ एक आपराधिक केस नहीं था…यह एक खौफनाक क्राइम की गुत्थी थी, जिसका हर सिरा अलग कहानी कहता था लेकिन जवाब कोई नहीं दे पा रहा था। मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात गुना के चर्चित तिहरे हत्याकांड की…

हेमंत के माता-पिता ने पुलिस से उसे ढूंढने के लिए गुहार लगाई थी।

पहला फोन, पहली गुमशुदगी 18 मई 2017 को गुना के वरुण वीथी कॉलोनी में रहने वाली भगवती बाई के मोबाइल पर एक फोन आया। सामने वाले ने 17 वर्षीय इकलौते बेटे हेमंत मीना से बात करवाने के लिए कहा। मां भगवती बाई ने बेटे हेमंत की बात करवा दी।

फोन हेमंत के दोस्त हनी दुबे ने किया था। हनी ने उससे कहा कि सेकेंड हैंड बाइक खरीदने के लिए चलना है। हेमंत ने मां भगवती बाई से 40 हजार रुपए लिए और रात करीब 8 बजे हनी के साथ घर से चला गया। देर रात तक हेमंत वापस नहीं लौटा।

सिंचाई विभाग में पदस्थ ऑफिस अधीक्षक पिता अंतर सिंह पत्नी भगवती बाई के साथ बेटे हेमंत को ढूंढने के लिए घर से निकले। उन्होंने पहले हेमंत के दोस्त हनी दुबे और संस्कार से पूछा। दोनों ने बताया कि हेमंत किसी के साथ बाइक खरीदने का बोलकर गया है। उन्होंने हेमंत को अशोक नगर रोड पर पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास छोड़ दिया था।

माता-पिता हेमंत को रातभर ढूंढते रहे, लेकिन उसका पता नहीं चला। हेमंत का मोबाइल भी बंद आ रहा था। आखिर में परेशान पिता अंतर सिंह ने थाना कैंट में बेटे की गुमशुदगी दर्ज करवा दी।

हेमंत मीना मोटरसाइकिल खरीदने घर से निकला था, फिर नहीं लौटा।

हेमंत मीना मोटरसाइकिल खरीदने घर से निकला था, फिर नहीं लौटा।

अपहरण का दावा और फिरौती की कॉल लापता होने के 5 दिन बाद 23 मई 2017 को हेमंत के मोबाइल नंबर से पिता को एक फोन आता है। फोन करने वाला व्यक्ति कहता है कि हेमंत का अपहरण हो गया है। उसे जिंदा देखना चाहते हो तो 50 लाख रुपए का इंतजाम कर लो।

अंतर सिंह ने बेटे के अपहरण और फिरौती के लिए आए फोन कॉल की रिकॉर्डिंग की और पुलिस को सूचना दी।

पुलिस हरकत में आई। डिटेल निकाली गई कि आखिर फोन कहां से आया था? पड़ताल में फोन कॉल की लोकेशन इंदौर निकली। बेटे की तलाश में पिता गुना से पुलिस के साथ इंदौर गए लेकिन कुछ पता नहीं चला। 25 मई को पिता इंदौर से वापस गुना लौट आए।

भीड़, अधजली लाश और पहला मोड़ 27 मई 2017 की सुबह 7.30 बजे मिंटू उर्फ सईद खान रेलवे पटरी से पैदल चलकर ईंटों के लिए लेबर लेने पटेल नगर आ रहा था। जैसे ही वह पटेल नगर रेलवे ट्रैक की पुलिया के पास आया तो देखा कि पुलिया के नीचे भीड़ लगी है। वह पुलिया के नीचे आया। वहां एक अज्ञात व्यक्ति की अधजली लाश पड़ी थी।

उसने तुरंत इसकी सूचना डायल 100 नंबर पर दी। लाश को देखकर लग रहा था कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने मृतक के मुंह पर कपड़ा बांधकर उसके साथ मारपीट की। फिर आग लगाकर हत्या कर दी। उसकी पहचान छुपाने की कोशिश की गई थी।

पुलिस टीम ने मौके पर शव बरामद कर पंचनामा बनाया था।

पुलिस टीम ने मौके पर शव बरामद कर पंचनामा बनाया था।

आधार कार्ड से हुई लाश की पहचान पुलिस को लगा कि लाश शायद हेमंत मीना की है। लाश के पास से जांच के दौरान पुलिस को एक आधार कार्ड मिला। पुलिस ने आधार कार्ड पर नाम देखा तो उस पर रितिक नामदेव लिखा था।

अभी तक पुलिस लापता हेमंत की गुत्थी ही नहीं सुलझा सकी थी कि उसके सामने रितिक की नई मर्डर मिस्ट्री थी। रितिक कौन था? उसे किसने मारा? कातिल कौन है? ये सवाल पुलिस से पूछे जाने लगे।

पहाड़ियों पर मिला नरकंकाल पुलिस लापता हेमंत मीना और रितिक मर्डर केस की जांच में लगी थी, तभी 29 मई 2017 को पुलिस को एक और सूचना मिली। पुलिस की टीम मकरावदा डैम के पास पहाड़ियों पर पहुंची। वहां पुलिस टीम ने देखा कि जमीन जली हुई है। मौके पर खून पड़ा था। पुलिस को कुछ दूरी पर एक नरकंकाल पड़ा दिखाई दिया। जिसकी खोपड़ी में चोट लगी थी। शरीर पर चमड़ी नहीं थी। पूरा कंकाल जला हुआ था। गर्दन में कपड़ा बंधा था।

इस बार पुलिस लगभग मान चुकी थी कि कंकाल हेमंत मीना का ही है, लेकिन यह अनुमान फिर गलत निकला। लाश की पहचान लोकेश लोधा के रूप में हुई। चाचा रमेश लोधा ने इसकी पुष्टि की।

अभी तक पुलिस लापता हेमंत और रितिक के मर्डर की गुत्थी में उलझी थी और उसके सामने लोकेश की नई मर्डर मिस्ट्री आ गई। अब तीन किरदार सामने थे।

तीन कहानियां, एक रहस्य अब पुलिस के सामने तीन अलग कहानियां, 3 किरदार और कई जटिल सवाल थे।

पुलिस के सामने कुछ जरूरी सवाल थे

– हेमंत की गुमशुदगी के पीछे कौन था? क्या अपहरण असली था या बहाना?

– 50 लाख की फिरौती किसी आम युवक के लिए क्यों मांगी गई?

– रितिक नामदेव और लोकेश लोधा क्या सिर्फ संयोग से हत्याओं के शिकार हुए या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा थे?

– क्या इन तीनों मामलों में कोई कॉमन लिंक था?

– और सबसे बड़ा सवाल- क्या हेमंत अभी जिंदा था?

पुलिस की उलझन, मीडिया का दबाव इन तीनों मामलों में न तो कोई सीधा गवाह था, न ही ठोस सबूत। लाशें जली हुई थीं, चेहरे पहचान से बाहर। कोई CCTV फुटेज नहीं, मोबाइल ट्रेसिंग पूरी तरह फेल। गुना पुलिस पर अब मीडिया और जनता दोनों का दबाव था। पुलिस ने दावा किया कि तीनों केस आपस में जुड़े हो सकते हैं लेकिन सबूत न होने के कारण मामला अटक गया।

केस बन गया भूल भुलैया केस में कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं, मोबाइल लोकेशन उलझन में डालने वाली, CCTV कहीं नहीं। पुलिस तय नहीं कर पा रही थी कि गुमशुदगी को मर्डर मानें या मर्डर को गुमशुदगी से जोड़ें। हर सुराग अधूरा, हर रास्ता धुंधला।

यह केस अब एक भयावह भूल भुलैया बन चुका था। जहां अंदर जाने का रास्ता तो था, लेकिन बाहर निकलने का कोई दरवाजा नहीं।

क्राइम फाइल्स के पार्ट 2 में जानिए इन सवालों के जवाब

– हेमंत का पता चला या नहीं? क्या वो जिंदा था?

– तीनों मामले क्या वाकई एकदूसरे से जुड़े थे या अलग थे?

– केस के पीछे कोई गैंग था या कोई और?

– बिना गवाह और सबूतों के पुलिस ने कैसे जांच की?

– पूरे मामले में आखिर कौन और कितने लोग आरोपी निकले?

– क्या केस का किसी महिला से भी कोई कनेक्शन था?

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