53 मिनट पहले
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अमेरिका में 57 साल की एक महिला अस्पताल में भर्ती हुई तो पता चला कि उसका लिवर बुरी तरह डैमेज हो गया है। उसके लिवर में सामान्य से 70 गुना ज्यादा एंजाइम्स थे।
उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक डॉक्टर की वीडियो देखी थी, जिसमें बताया गया था कि हल्दी सप्लीमेंट्स से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है। इसके बाद उन्होंने रोज हल्दी के सप्लीमेंट्स लेने शुरू कर दिए। कुछ ही हफ्तों में पेट दर्द और मितली की शिकायत के बाद वो अस्पताल गईं। उन्हें डॉक्टर ने बताया कि अगर वो कुछ दिन और ऐसा करतीं तो लिवर पूरी तरह डैमेज हो जाता और ट्रांसप्लांट करना पड़ता।
सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर या किसी के भी कहने पर ज्यादा सप्लीमेंट्स लेना खतरनाक हो सकता हैं। नेचुरल सप्लीमेंट्स भी एक हद से ज्यादा नुकसानदायक होते हैं।
इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज जानेंगे कि ज्यादा हल्दी खाने के क्या नुकसान हैं। साथ ही जानेंगे कि-
- किन लोगों को हल्दी नहीं खानी चाहिए?
- ज्यादा हल्दी खाने पर शरीर क्या संकेत देता है?
- रोज कितनी हल्दी खाना काफी होता है?
औषधि की तरह इस्तेमाल होती है हल्दी
हल्दी को भारतीय किचन में मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इसके औषधीय प्रयोग भी होते हैं। इसमें कई एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसे लोग रोज दाल, सब्जी और दूध में मिलाकर पीते हैं।
हल्दी में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व करक्यूमिन है। करक्यूमिन की मौजूदगी से ही हल्दी का रंग पीला होता है और इसे औषधीय रूप से गुणवान बनाता है। खाने में हल्दी का इस्तेमाल सुरक्षित है, पर जब इसे सप्लीमेंट के रूप में लिया जाता है तो इसकी कंसंट्रेशन बहुत ज्यादा हो जाती है। सामान्य हल्दी में करक्यूमिन 3% तक होता है, लेकिन सप्लीमेंट में यह 95% तक भी हो सकता है। यही ज्यादा डोज लिवर के लिए खतरा बन सकती है।
ज्यादा हल्दी खाना नुकसानदायक है
सोशल मीडिया आदि पर लोग आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्स ले रहे हैं। डॉक्टर से सलाह लिए बिना हल्दी के सप्लीमेंट लेने से हो रहे नुकसान सामने आ रहे हैं।

हल्दी कितनी मात्रा में लेना सुरक्षित है?
हल्दी के औषधीय गुणों को आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही स्वीकार करते हैं। खाने में हल्दी के इस्तेमाल से इंफ्लेमेशन कम होता है और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हल्दी या करक्यूमिन सप्लीमेंट बिना सोचे-समझे या जरूरत से ज्यादा मात्रा में लिया जाए।
- रोजाना खाने में एक चम्मच या 1.5 से 3 ग्राम हल्दी लेना सुरक्षित माना जाता है।
- करक्यूमिन सप्लीमेंट की सेफ डोज वयस्कों के लिए 500 से 2000 mg मानी जाती है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
- बिना जरूरत के सप्लीमेंट लेना या बाजार में मिलने वाले हर्बल सप्लीमेंट पर भरोसा करना, सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

ब्लैक पेपर के साथ हल्दी लेने से क्यों बढ़ता है रिस्क?
कई लोग हल्दी को काली मिर्च के साथ लेते हैं, जिससे उसका अवशोषण बढ़ जाता है। इससे फायदा होने के साथ-साथ लिवर पर अतिरिक्त दबाव भी पड़ सकता है। अगर कालीमिर्च के साथ हल्दी खा रहे हैं और पेशाब का रंग पीला है, कमजोरी, थकान, पेट में भारीपन महसूस हो रहा है तो ये संकेत हो सकते हैं कि लिवर पर असर पड़ रहा है।

क्या हल्दी से होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है?
हां, हल्दी को रोजमर्रा की डाइट में सीमित मात्रा में लेना ही सही तरीका है। खाना पकाने में डाली जाने वाली हल्दी सेहत के लिए फायदेमंद होती है। किसी बीमारी के इलाज के लिए हल्दी लेना है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। खुद से सप्लीमेंट लेना या सोशल मीडिया से देखकर डोज तय करना खतरनाक हो सकता है।
कुछ जरूरी बातें, जो आपको जाननी चाहिए-
- हल्दी के सप्लीमेंट्स पर बाजार में रेगुलेशन बहुत कमजोर है। हर कैप्सूल में कितनी मात्रा में करक्यूमिन है, यह तय नहीं होता है।
- कुछ लोगों में करक्यूमिन का अवशोषण ज्यादा होने की वजह से लिवर पर दबाव बढ़ जाता है।
- शरीर में ट्रेस एलिमेंट्स और हर्बल केमिकल्स के ज्यादा जमाव से लिवर पर असर पड़ सकता है।
सावधानी ही बचाव है
- अगर आप हेल्दी हैं और हल्दी खा रहे हैं तो सीमित मात्रा में ही खाएं।
- कोई भी सप्लीमेंट बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
- सोशल मीडिया या इंटरनेट से देखकर हेल्थ फैसले न लें।
- अगर किसी भी सप्लीमेंट को लेने के बाद कोई भी असामान्य लक्षण महसूस हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
सवाल: काली मिर्च के साथ हल्दी लेना क्यों खतरनाक है?
जवाब: काली मिर्च में पाया जाने वाला पाइपरीन (Piperine) करक्यूमिन के शरीर में अवशोषण को 2000% तक बढ़ा सकता है। हालांकि इससे हल्दी के गुणों का असर बढ़ता है, लेकिन ज्यादा अवशोषण से लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में परेशानी हो सकती है, जिससे लिवर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। इसलिए लंबे समय तक इसका संयोजन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
सवाल: हल्दी खाने के बाद कौन से लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाएं?
जवाब: अगर हल्दी या करक्यूमिन सप्लीमेंट लेने के बाद पेशाब का रंग गहरा हो जाए, थकान महसूस हो, भूख कम लगे, पेट में भारीपन या अपच हो, या मितली आने लगे तो ये लिवर टॉक्सिसिटी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) करवाएं।
सवाल: क्या हल्दी के नुकसान से बचा जा सकता है?
जवाब: हां, अगर आप हल्दी को सिर्फ भोजन में सीमित मात्रा में लेते हैं तो इससे नुकसान नहीं होता। किसी भी बीमारी के इलाज के लिए हल्दी या उसके सप्लीमेंट्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। सोशल मीडिया या इंटरनेट के आधार पर डोज तय करना जोखिम भरा है।
सवाल: क्या हल्दी सप्लीमेंट से फैटी लिवर या लिवर डिजीज बढ़ सकती है?
जवाब: हां, फैटी लिवर, अल्कोहलिक लिवर डिजीज या अन्य लिवर संबंधित बीमारियों में लिवर पहले से ही संवेदनशील होता है। ऐसे में हल्दी या करक्यूमिन सप्लीमेंट से लिवर पर ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और मेटाबोलिक लोड बढ़ सकता है, जिससे बीमारी और बिगड़ सकती है।
सवाल: अगर सप्लीमेंट लेने के बाद लक्षण दिखें तो क्या करें?
जवाब: तुरंत सप्लीमेंट लेना बंद कर दें और डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर लिवर फंक्शन टेस्ट, ब्लड वर्क और जरूरत अनुसार अल्ट्रासाउंड या अन्य जांच करा सकते हैं। लिवर को समय रहते सपोर्ट देना जरूरी होता है, वर्ना स्थिति गंभीर हो सकती है।
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