मल्चिंग अपनाएं और मिट्टी में नमी लाएं… इस फॉर्मूले से खरपतवार हटेगा और पौधे की ग्रोथ भी होगी, जानिए इसके फायदे

Mulching Tips to Retain Soil Moisture: अच्छी बागवानी या खेती के लिए मिट्टी की नमी को बरकरार रखना बेहद जरूरी है. खासकर तब जब मौसम गर्म और सूखा हो. मिट्टी में नमी रखने के लिए मल्चिंग बेस्ट ऑप्शन हो सकता है. ऐसा करने से न सिर्फ मिट्टी को सूखने से बचाया जा सकता है, बल्कि पौधों की ग्रोथ भी ठीक से होगी. हालांकि, बागवानी के शौकीनों के लिए यह तरीका नया नहीं है, लेकिन फिर भी आपको कुछ आसान तरीके अपनाने होंगे. ऐसा करने से आपको जल्द लाभ देखने को मिल सकता है. अब सवाल है कि आखिर मल्चिंग का मतलब क्या है? मल्चिंग करने के फायदे क्या हैं? मल्चिंग में किन चीजों की जरूरत होती है? मल्चिंग का सही तरीका क्या है? आइए जानते हैं इस बारे में-

क्या है मल्चिंग का मतलब

मिट्टी की ऊपरी सतह को किसी परत से ढक देना. यह परत जैविक (पौधों से बनी) या अकार्बनिक (प्लास्टिक, पत्थर आदि) किसी भी चीज़ की हो सकती है. यह नमी को लंबे समय तक मिट्टी में बनाए रखती है, तापमान को संतुलित करती है और खरपतवारों को पनपने नहीं देती.

मल्चिंग करने के फायदे क्या हैं

– गर्मियों में पानी जल्दी सूख जाता है. लेकिन जब मिट्टी को ढक दिया जाता है, तो ऊपर की सतह से पानी का वाष्पीकरण कम हो जाता है, जिससे पौधों को ज़्यादा देर तक नमी मिलती रहती है.

– जब मिट्टी पर परत बिछा दी जाती है, तो खरपतवारों को उगने के लिए ज़रूरी रोशनी नहीं मिलती. इससे वे दब जाते हैं और पौधों के साथ पानी व पोषक तत्वों की होड़ नहीं लगाते.

– मल्चिंग करने से मिट्टी बहुत ज़्यादा गर्म या ठंडी नहीं होती. इससे पौधों की जड़ें सुरक्षित रहती हैं और उनका विकास बेहतर होता है.

– अगर आप जैविक मल्च का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि सूखी पत्तियां या कम्पोस्ट, तो ये धीरे-धीरे मिट्टी में मिलकर उसे ज़्यादा उपजाऊ बना देते हैं.

– मल्चिंग से बगीचा या खेत व्यवस्थित और सुंदर लगता है. खासकर अगर आप रंग-बिरंगे मल्च या लकड़ी के टुकड़े लगाते हैं.

मल्चिंग करने का सही तरीका

– मल्च लगाने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से गीला कर लें. इससे यह सुनिश्चित होता है कि नमी ज़मीन में पहले से मौजूद हो.

– मल्च की परत लगभग 2 से 4 इंच मोटी होनी चाहिए. इससे नमी भी बनी रहेगी और हवा का प्रवाह भी बना रहेगा.

– मल्च पौधों के तनों से बिल्कुल चिपका कर न लगाएं. इससे सड़न का खतरा बढ़ता है.

– मल्चिंग से पहले ज़मीन की सफाई कर लें. ज़मीन में मौजूद खरपतवार अगर वहीं रह गए तो वे मल्च के नीचे भी पनप सकते हैं.

– अगर आपका इलाका बहुत गर्म है, तो लकड़ी के टुकड़े या छाल ज़्यादा बेहतर रहेंगे क्योंकि ये धीरे-धीरे टूटते हैं और नमी को लंबे समय तक रोक कर रखते हैं.

– मल्च समय के साथ सड़ता या जम जाता है. ऐसे में समय-समय पर नई परत डालते रहना ज़रूरी है.

मल्चिंग में किन चीज़ों का इस्तेमाल करें?

  • जैविक विकल्प: सूखी घास, भूसा, लकड़ी की छीलन, पत्तियां, कम्पोस्ट
  • अकार्बनिक विकल्प: प्लास्टिक शीट, कंकड़, परलाइट, वर्मीक्यूलाइट
  • अगर आप मिट्टी में जलधारण क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, तो परलाइट और वर्मीक्यूलाइट
  • जैसे तत्वों का उपयोग करें. ये पानी को सोखते हैं और धीरे-धीरे जड़ों तक पहुंचाते हैं.

.

Source link

Share me..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *