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Ayurvedic benefits of Durva: दूर्वा, जिसे दूब भी कहते हैं, आयुर्वेद में अत्यंत गुणकारी औषधीय पौधा है. यह त्वचा रोग, अपच, एसिडिटी और पेट की समस्याओं में लाभकारी है. गर्मियों में इसके रस का सेवन शरीर को ठंडक देता…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- दूर्वा त्वचा रोग, अपच और एसिडिटी में लाभकारी है.
- दूर्वा का रस गर्मियों में शरीर को ठंडक देता है.
- दूर्वा का लेप त्वचा रोगों में राहत देता है.
आयुर्वेदाचार्य डॉ. चंद्रप्रकाश दीक्षित लोकल 18 को बताते हैं कि दूर्वा में ऐसे औषधीय तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर के भीतर और बाहर दोनों प्रकार की समस्याओं के उपचार में सहायक होते हैं. विशेषकर त्वचा रोग, जलन, अपच, एसिडिटी, खट्टी डकार और पेट की अन्य समस्याओं में यह अत्यंत प्रभावी मानी जाती है. दूर्वा को धोकर उसका रस निकाला जाता है और उसमें मिश्री मिलाकर रोज सुबह खाली पेट पीने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
अगर दूर्वा के रस में शहद मिलाकर लिया जाए तो इसका असर और भी अधिक बढ़ जाता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भूख न लगने की समस्या को दूर करता है. त्वचा रोगों में इसका लेप उपयोगी माना गया है. फोड़े-फुंसी, दाद, खाज और जलन की समस्या में दूर्वा का रस लगाने से राहत मिलती है. यह त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में भी मदद करता है. घरेलू उपचारों में इसका उपयोग सदियों से किया जा रहा है.
गर्मी में शरीर को शीतलता देती है यह आम दिखने वाली घास
दूर्वा प्राकृतिक रूप से ठंडक प्रदान करने वाली होती है और शरीर की आंतरिक गर्मी को संतुलित करती है. यही कारण है कि गर्मियों में इसके रस का सेवन काफी लाभकारी माना जाता है. इसलिए अगली बार जब कोई इस घास को उखाड़े, तो उसे जरूर बताएं कि यह कोई साधारण घास नहीं बल्कि प्रकृति का एक छोटा-सा औषधीय खजाना है. दूर्वा का सही और नियमित उपयोग कर हम कई प्रकार की शारीरिक परेशानियों से बच सकते हैं और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के.