शिव अराधना, व्रत, उपवास आदि के लिए सावन का महीना बहुत फलदायी माना जाता है. इसे हिंदू कैलेंडर का सबसे पवित्र मास भी माना जाता है. विशेषकर सावन माह में पड़ने वाले सोमवार के दिन का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से काफी अधिक होता है. इस शुभ दिन पर स्त्री-पुरुष सभी व्रत रखकर शिवजी का अराधना करते हैं.
आज 4 अगस्त 2025 को सावन महीने का अंतिम सोमवार है. कहा जाता है कि अंतिम सोमवार में किए व्रत, उपवास और पूजा-पाठ का पूर्ण लाभ मिलता है. इतना ही नहीं पूरे सावन महीने भक्त श्रद्धापूर्वक जो व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं उन्हें अंतिम सोमवार में ही उसका फल मिलता है. इसलिए दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता.
अंतिम सावन सोमवार के साथ ही सावन माह समाप्ति की ओर बढ़ने लगता है. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि, आज 4 अगस्त को आखिरी सोमवार के दिन ही सावन माह भी समाप्त हो जाएगा. हालांकि कई बार ऐसा विशेष संयोग बनता है कि, सावन माह के अंतिम दिन ही अंतिम सोमवार भी पड़ता है. लेकिन बात करें इस साल की तो ऐसा नहीं है. आइये हिंदू कैलेंडर से समझते हैं सावन माह की शुरुआत और समाप्ति की तिथि.
पंचांग के जानें कब समाप्त होगा सावन
पंचांग के अनुसार सावन महीने की प्रतिपदा तिथि से सावन महीने की शुरुआत होती है और श्रावण पूर्णिमा या रक्षाबंधन सावन का अंतिम दिन होता है. इसके बाद भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हिंदू कैलेंडर में भी माह 29, 30 या कभी-कभी 31 दिनों का होता है, लेकिन तिथि में अंतर होता है.
हिंदू कैलेंडर से कैसे होती है मास की गणना
बता दें कि, हिंदू कैलेंडर (पंचांग) के अनुसार मास की गणना पूर्णिमा से पूर्णिमा (पूर्णिमांत पंचांग) या प्रतिपदा से प्रतिपदा (अमावस्यांत पंचांग) से की जाती है. हालांकि भारत के अलग-अलग भागों में तिथि की गणना में भी अंतर होता है. आप भारत के उत्तरी राज्यों हैं तो सावन का अंतिम दिन 9 अगस्त रहेगा.
वहीं यदि आप दक्षिण भारत में हैं तो सावन का अंतिम दिन 23 अगस्त 2025 होगा. क्योंकि दक्षिणी राज्यों में सावन की शुरुआत 25 जुलाई से हुई थी. इस तरह से उत्तर भारत में अंतिम सावन सोमवार 4 अगस्त और दक्षिण भारत में 18 अगस्त को आखिरी सावन सोमवार रहेगा.
सावन में शिवकृपा पाने के लिए 5 दिन और..
इस साल सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 (सावन प्रतिपदा) से हुई थी और 9 अगस्त 2025 (सावन पूर्णिमा) को सावन माह समाप्त हो जाएगा. ऐसे में सावन में शिवजी की पूजा-उपासना कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए अभी 5 दिन और शेष हैं. वैसे तो सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि जैसे कई विशेष दिनों में भी शिव पूजन का महत्व बढ़ जाता है. लेकिन मान्यता है कि सावन महीने में शिव का वास भूलोक पर होता है और इस दौरान किए पूजा-व्रत से भोले भंडारी प्रसन्न होकर भक्तों को शीघ्र ही इसका फल देते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं.
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