Success Story: छोटे अखाड़े से बड़ी जीत…गांव की बेटी बनी रेसलिंग की रानी, लिखी जीत की अनोखी कहानी

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Success Story: छोटे से गांव की एक पहलवान ने साधारण अखाड़े में मेट पर कड़ी मेहनत और संघर्ष से अभ्यास किया. कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • छोटे अखाड़े से शुरू हुआ सुनहरे सफर का आगाज़
  • संघर्ष, मेहनत और हौसले से जीता वर्ल्ड गोल्ड
  • गांव की बेटी बनी देश की प्रेरणा
भीलवाड़ा: अगर मन में कुछ कर दिखाने की ललक और किसी लक्ष्य को पाने का जुनून हो तो संसाधन या सुविधा काम हो तो भी खिलाड़ी अपने लक्ष्य और अपने हुनर के जरिए कामयाबी हासिल कर सकता है यह कर दिखाया है भीलवाड़ा शहर की बेटी अश्विनी विश्नोई ने जो भीलवाड़ा के उपनगर पूर्व में स्थित अखाड़ा में प्रेक्टिस करके यह मुकाम हासिल किया है इतना ही नहीं अश्विनी बिश्नोई के पिता एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते हैं लेकिन उन्होंने कभी अपनी बेटी को अपने सपनों से दूर नहीं किया.

सपने पूरे करने में पिता ने एक अहम भूमिका निभाई अखाड़े की बात की जाए तो अखाड़े में एक मेट है आलम यह है कि यहां पर पहलवानों के प्रेक्टिस करने के लिए भी सिर्फ एक छोटा सा मेट है. जिसमें उन्हें  इंतजार करना पड़ता है बारी बारी प्रैक्टिस होती हैं. जहां पर अश्विनी विश्नोई ने घंटे प्रैक्टिस करके यह मुकाम हासिल किया है. भीलवाड़ा की बेटी ने राजस्थान के साथ देश का भी मान बढ़ाया है अश्विनी बिश्नोई ने अंडर-17 स्पर्धा में इंटरनेशनल गोल्ड जीता है. उन्होंने एथेंस, ग्रीस में चल रही वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया है. जानें सफलता की कहानी.

55 गड्ढे के मेट पर करती है प्रक्टिस
अश्विनी बिश्नोई के कोच कल्याण ने Local 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि इस प्रतियोगिता में करीब 19 देश के पहलवानों ने उसके वजन में पार्टिसिपेट किया था अश्विनी ने लगातार पांच मुकाबले जीते और वर्ल्ड चैंपियन बनी है अश्विनी ने अल्जीरिया ,हंगरी, मंगोलिया सहित पांच देशों के पहलवानों को हराया है. इस मुकाबले की सबसे बड़ी खास बात यह है कि अश्विनी ने किसी भी मुकाबले में किसी भी पहलवान को कोई अंक हासिल नहीं करने दिया. अश्विनी छोटे से गांव के इस छोटे से अखाड़े में प्रेक्टिस करके वर्ल्ड चैंपियन बनी है.

उसकी प्रेक्टिस की बात की जाए तो वह सुबह अकेली अपने स्कूटर पर आ जाती है  3 घंटे लगातार पसीना बहाती है और वापस शाम को आती है पसीना बहाती है कुल मिलाकर पूरे 7 घंटे यह अपनी प्रेक्टिस को देती है यहां पर जो मेट बना हुआ है वह 55 गद्दों का बना हुआ है जो एक तरह से आम मेट की तुलना में छोटा है

ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने का अश्विनी का सपना
वर्ल्ड चैंपियन गोल्ड मेडलिस्ट अश्विनी विश्नोई ने कहा कि मेरे वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल आया है इसलिए आज रेलवे स्टेशन पर सब लोग मुझे प्यार देने के लिए आए हैं वर्ल्ड चैंपियनशिप में यह मेरा पहला मेडल है मुझे इस बात की काफी खुशी हो रही है क्योंकि पहले मेरे कमर में इंजरी होने के वजह से मुझे यह मौका छूट गया था मैं अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता और कोच को देना चाहूंगी. जिनकी बदौलत आज मैं यहां तक पहुंच चुकी हूं.

आगे में ओलंपिक में जाकर पूरी दुनिया में भीलवाड़ा जिले का नाम रोशन करना चाहती हूं. अन्य लड़कियों को मेरा यही संदेश है कि वह भी गेम्स में आए और जिले का नाम रोशन करें चाहे गेम कौन सा भी हो उन्हें आगे जाकर गेम में खेलना चाहिए.

पिता फैक्ट्री में मजदूरी का करते कार्य
अश्विनी के पिता ने बताया कि वह फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते हैं और बचपन से ही उनका सपना रहा है कि उनकी बेटी पहलवान बने इसके लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया है दिन-रात एक करके उसकी पहलवानी में जान जोकट लगा दी है.

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