63 साल पुरानी है ट्रंप की भारत से खुन्नस, बातों ही बातों में बता गए एस जयशंकर, MIG-21 से है इसका खास कनेक्‍शन

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63 साल पुरानी है ट्रंप की भारत से खुन्नस, जानें MIG-21 से क्‍या है इसका रिश्ता
US Six Decade Old Animosity: 50 फीसदी ट्रैरिफ लगने के बाद भारत और अमेरिका के रिश्‍ते एक बार फिर दो राहे पर आकर खड़े नहीं हैं. ऐसा नहीं है कि भारत को लेकर अमेरिका का यह रुख नया हो, बल्कि उसकी यह खुन्‍नस करीब छह दशक पुरानी है. और, इस खुन्‍नस की वजह 1963 में भारत की तरफ से दिया गया वह झटका है, जिसकी टीस अभी तक अमेरिका के दिल में बनी हुई है. भारत के इस झटके की वजह से अमेरिका को ना केवल बड़ा नुकसान हुआ था, बल्कि उसकी विश्‍वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो गए थे. आपको बता दें कि बीते दिनों बातों ही बातों में इससे जुड़ा बड़ा खुलासा खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया है.

जी हां, बीते दिनों एक साक्षात्‍कार में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि अमेरिका ने 1965 के बाद भारत के साथ डिफेंस डील करना बंद कर दिया था. 1965 से 2006 के बीच एक अपवाद को छोड़ दें तो अमेरिका ने भारत के साथ एक भी डिफेंस डील साइन नहीं की. अमेरिका ने ही ऐसी परिस्थितियां तैयार की थीं, जिसकी वजह से भारत को पहले के सोवियत संघ और बाद के रूस से डिफेंस डील करनी पड़ी. उन्‍होंने कहा कि वह अमेरिका ही था, जिसने भारत को डिफेंस इक्‍यूपमेंट सप्‍लाई न करने की पॉलिसी बनाई थी. अमेरिका ने अपनी इस पॉलिसी को 2005-06 में बदला था. इस समय में भारत ने सिर्फ रूस से नहीं, बल्कि यूके, फ्रांस और जर्मनी के साथ डिफेंस डील साइन की थी.

1965 में ऐसा क्‍या हुआ कि अमेरिका ने पाल ली खुन्‍नस
दरअसल, यह मामला सीधे तौर पर भारत और सोवियत संघ के बीच हुई MIG-21 से जुड़ा हुआ है. दरअसल, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत आसमान में अपनी ताकत मजबूत करना चाहता था. इसी बीच, अमेरिका ने पाकिस्‍तान को एफ-104 स्‍टारफाइटर खैरात में दिखा था. इसके बाद, भारत ने भी अमेरिका से एफ-104 खरीदने की इच्‍छा जताई. लेकिन, अमेरिका इस डील के लिए शुरू से नानुकर करता रहा. आखिर में, भारत को समझ में आ गया कि अमेरिका उसके साथ डिफेंस डील नहीं करना चाहता है. लिहाजा, उसने अपने कदम तब के सोवियत संघ और आज के रूस की तरफ बढ़ा दिए. रूस ने भारत को न केवल मिग-21 सुपरसोनिक फाइटर जेट दिए, बल्कि टेक्‍नोलॉजी भी ट्रांसफर की.

गलती का अहसास होने के बाद अमेरिका ने चली चाल
इस मामले में जब अमेरिकी राजदूत सहित अन्‍य अधिकारियों ने व्‍हाइट हाउस को उसकी गलती को एहसास कराया, तब अमेरिका ने भारत को अपने जाल में फंसाने की कोशिश शुरू कर दी. इस कवायद में भारत को नौ C-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बेचने की कोशिश की गई. लेकिन, भारत अमेरिका के इस ऑफर को ठुकराकर आगे बढ़ गया. यह बात यहीं पर खत्‍म नहीं हुई. भारतीय वायुसेना में मिग-21 के शामिल होने के चंद महीनों बाद भारत और अमेरिका के बीच 1965 का युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में पाकिस्‍तान ने अमेरिका के एफ-104 का जमकर इस्‍तेमाल किया. इस युद्ध में भारत के मिग-21 ने हर मुकाबले में अमेरिका के एफ-104 धूल चटा दी.

अमेरिका को बर्दाश्‍त नहीं हुई मिग-21 से मिली हार
1962 के युद्ध के बाद 1971 के भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में मिग-21 बची खुची कसर भी पूरी कर दी. इस युद्ध में भारत के मिग-21 ने पाकिस्‍तान के चार एफ-104 को मार गिराया. इस हार के बाद पाकिस्‍तान ने अमेरिका के एफ-104 को अपने जहाजी बेड़े से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया था. इसी बीच, अमेरिका का यह एफ-104 को दुनिया में ‘द विडो मेकर’ के नाम से बदनाम हो गया. जिसके बाद, अमेरिका ने शायद भारत के साथ डिफेंस डील न करने की कसम खा ली. अमेरिका ने भारत के साथ 1965 से 2006 के बीच एक भी डिफेंस डील नहीं की.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to …और पढ़ें

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