5 key reasons colon cancer: हमारे शरीर में पेट के बाद निचले हिस्से में छोटी आंत होती है जिसमें भोजन पचता है. इसके बाद बड़ी आंत होती है जहां भोजन से पोषक तत्वों को निकाल लिया जाता है और अपशिष्ट पदार्थ को बाहर धकेल दिया जाता है. इसी बड़ी आंत को कोलोन कहा जाता है और इसके बाद वाले भाग को रेक्टम या मलाशय कहा जाता है. आजकल युवाओं में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. यानी पेट के सबसे निचले भाग कोलोन और रेक्टम में होने वाले कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहते हैं. इसे आमतौर पर कोलोन कैंसर कहा जाता है. पहले यह बीमारी 50 साल की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल 20-25 साल के युवाओं को यह बीमारी होने लगी है. यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर में प्रवेश करती है और फिर अचानक उफान मचा देती है. ऐसे में सवाल है कि युवाओं में कोलोन कैंसर होता क्यों है.
कोलोन कैंसर के 5 प्रमुख कारण
1.अनहेल्दी डाइट और मोटापा-टीओआई की खबर के मुताबिक आधुनिक जीवनशैली में खासकर शहरी और पश्चिमीकरण वाले समाजों में भोजन में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, रेड मीट, चीनी और अनहेल्दी फैट की मात्रा अधिक होती है जबकि फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है. फाइबर हमारे लिए बहुत जरूरी है जो आंत को स्मूथ करता है. लेकिन आजकल के युवा फास्ट फूड, पिज्जा, बर्गर, मोमोज आदि खाकर फाइबर को नजरअंदाज कर रहे हैं. खाने की ये आदतें अब सीधे तौर पर कोलन कैंसर के बढ़ते जोखिम से जुड़ी मानी जा रही हैं. इसके अलावा मोटापा और डायबिटीज़ आज के युवाओं में आम होती जा रही हैं जो बड़ी आंत में सूजन और कैंसर के खतरे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती हैं.
2. आंतों का माइक्रोबायोम और बैक्टीरियल टॉक्सिन्स– एक नए अध्ययन में एक बैक्टीरियल टॉक्सिन कोलिबैक्टिनकी पहचान हुई है, जो E. coli की कुछ प्रजातियों द्वारा उत्पन्न होता है. यह बैक्टीरिया सीधे डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है. यही से कोलन कैंसर शुरुआत होती है. अध्ययन में पाया गया है कि कम उम्र के मरीजों में कोलिबैक्टिन से जुड़ी म्यूटेशन कहीं अधिक पाई जाती हैं, खासकर अगर बचपन में ही इसका प्रभाव पड़ा हो. इसका मुख्य कारण अनहेल्दी डाइट, एंटीबायोटिक का अधिक प्रयोग या प्रदूषण के कारण आंतों का असंतुलन है जो इस खतरे को और भी बढ़ा सकता है.
3. खराब पर्यावरण-कोलोन कैंसर की एक प्रमुख वजह खराब पर्यावरण भी है. आजकल हर तरफ प्रदूषण बढ़ रहा है. खासकर बड़े शहरों में. इसके अलावा माइक्रोप्लास्टिक हार्मोन को बाधित करने वाले रसायन उत्पादित करते हैं. वहीं वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय रसायन हार्मोन और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करके कैंसर की दर बढ़ा सकते हैं. ये रसायन जीवन की शुरुआती अवस्था में ही आंतों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
4.शिथिल जीवनशैली-आज के युवा अधिकतर समय बैठे रहते हैं. वे भर दिन खुद को मोबाइल फोन में सिमटा कर रख दिया है. बाहर की गतिविधियां कम हो गई है. यहां तक कि बच्चे भी शारीरिक गतिविधियों वाले खेल कूद में कम भाग लेते हैं. स्क्रीन टाइम इसके लिए सबसे बड़ा दुश्मन है. यह शारीरिक निष्क्रियता, खराब आहार के साथ मिलकर कैंसर सहित कई क्रोनिक बीमारियों का खतरा बढ़ाती है.
5. बाद में चेतना-अगर युवाओं में कुछ परेशानियां भी होती है तो वे बाद में चेतते हैं. शुरू में इस पर ध्यान ही नहीं देते. जैसे कब्ज, पेट की समस्या, मल में खून आना, अस्पष्ट थकान या लगातार पेट की आदतों में बदलाव जैसे लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या गलत तरीके से पहचान लिया जाता है. इससे बीमारी की पहचान शरू में नहीं हो पाती. इससे कोलोन कैंसर यदि होता है तो खतरनाक हो जाता है जबकि शुरू में पहचान से इसका इलाज आसान हो जाता है.
कोलोन कैंसर से कैसे बचें
1. स्क्रीनिंग जल्दी शुरू करें:अगर आपकी उम्र 45 साल से ज़्यादा है तो कोलोरेक्टल कैंसर की जांच जरूर कराएं. अगर परिवार में किसी को यह बीमारी रही हो या आपको कोई लक्षण दिखें, तो और भी पहले जांच कराएं.
2. फाइबर युक्त संपूर्ण आहार लें: अपने रोज़ाना के भोजन में फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और दालें ज़रूर शामिल करें. लाल मांस, चीनी और अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें.
3. आंतों के माइक्रोबायोम को हेल्दी रखें: प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक से भरपूर चीज़ें जैसे दही, केफिर, केला, लहसुन और ओट्स खाएं. बिना ज़रूरत के एंटीबायोटिक का उपयोग न करें.
4. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें: रोज़ाना कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें. इससे आपका मेटाबॉलिज्म हेल्दी रहेगा और सूजन नियंत्रित होगी.
5. शुरुआती संकेतों को जानें: शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें, जैसे कि मल में खून आना, पेट में दर्द या लंबे समय तक शौच की आदतों में बदलाव.
6. स्मोकिंग से बचें और शराब का सेवन सीमित करें: ये दोनों ही कोलोरेक्टल कैंसर समेत कई प्रकार के कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं, यहां तक कि युवाओं में भी.