डॉक्टर्स की मानें तो इसके कुछ सामान्य और गंभीर कारण हो सकते हैं. अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसी स्थिति है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. अब सवाल है कि आखिर बच्चे देर से बोलना क्यों शुरू करते हैं? किन कारणों से बच्चा देर से बोलना शुरू करता है? देर से बोलने वाले बच्चों की जांच जरूरी क्यों? इस बारे में News18 को बता रही हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका आर्य-
प्रीमेच्योर बर्थ: एक्सपर्ट के मुताबिक, 9 माह से पहले जन्में बच्चे को प्रीमेच्योर बर्थ या फिर प्रीमेच्योर बेबी कहा जाता है. इस स्थिति में बच्चे का विकास दर काफी कम हो सकता है. कुछ प्रीमेच्योर बेबी को न सिर्फ बोलने में परेशानी होती है, बल्कि उन्हें देरी से सुनाई देना और अन्य एक्टिविटीज देरी से विकसित होती है. ऐसे में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन, समय-समय पर जांच कराएं. ताकि विकास दर सही हो सके.
कान का इन्फेक्शन: कुछ बच्चों को जन्म के बाद कान में इन्फेक्शन की परेशानी हो जाती है. ऐसे बच्चों में बोलने की क्षमता काफी ज्यादा प्रभावित होती है. इसकी वजह से आपका बच्चा देरी से बोल सकता है. इसलिए अगर आपका बच्चा बार-बार कान खुजला रहा है या फिर कान के अंदर उंगली डाल रहा है तो इस स्थिति में उनके कान की जांच कराएं, ताकि उनके बोलने की क्षमता विकसित हो सके.
समझने में दिक्कत: डॉक्टर के मुताबिक, कुछ बच्चों को जन्म के बाद से कुछ चीजों को समझने और सुनने में दिक्कत होती है, जिसकी वजह से वे देरी से बोल सकते हैं. क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता है कि वह क्या प्रतिक्रिया देंगे. हालांकि, जांच के बाद परेशानी को दूर किया जा सकता है.
न्यूरोलॉजिकल समस्याएं: अगर आपको महसूस हो रहा है कि आपका बच्चा उम्र के हिसाब से काफी देरी से बोल रहा है तो इस स्थिति में उनकी जांच कराएं. कई बार इस परेशानी का कारण न्यूरोलॉजिकल डिसएबिलिटी हो सकती है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह की जरूरत है, ताकि आपके बच्चे का इलाज जल्द से जल्द किया जा सके.