इस परेशानी का शिकार हो रहीं 25% महिलाएं ! लेट प्रेग्नेंसी भी बड़ी वजह, डॉक्टर्स से जानें बचाव के तरीके

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Uterine Fibroids: फाइब्रॉइड महिलाओं में होने वाली एक समस्या है, जिसकी वजह से पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग, तेज दर्द होता है. इसके कारण प्रेग्नेंसी में समस्याएं आती हैं और अबॉर्शन तक हो जाता है. सही समय पर इसका ट्…और पढ़ें

फाइब्रॉइड के मामले शहरों में तेजी से बढ़ रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • करीब 25% महिलाएं फाइब्रॉइड से पीड़ित मिल रही हैं.
  • फाइब्रॉइड से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.
  • इसका इलाज दवाओं, सर्जरी और लैप्रोस्कोपी से होता है.
All About Fibroids: आजकल की खराब लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खानपान और बढ़ते तनाव के कारण महिलाएं कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रही हैं. एक समस्या शहर में रहने वाली महिलाओं को ज्यादा प्रभावित कर रही है, जिसे फाइब्रॉइड यानी यूटेराइन लियोमायोमा भी कहा जाता है. यह गर्भाशय में होने वाली एक सामान्य परेशानी है, लेकिन यह महिलाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है. इसके मामले पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं. अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार फाइब्रॉइड क्या है, इसके मामले क्यों बढ़ रहे हैं, इसके लक्षण क्या होते हैं और इस बीमारी का इलाज कैसे किया जाता है?

नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल के गायनी एंड ऑब्सटेट्रिक्स डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. बंदना सोढ़ी ने News18 को बताया कि फाइब्रॉइड गर्भाशय के अंदर एक प्रकार की गांठ (tumor) होती है, जो नॉन कैंसरस होती है. यह गांठ गर्भाशय की मांसपेशियों में पाई जाती है और कभी-कभी आकार में बहुत बड़ी हो सकती है. यह गांठ महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर बुरा असर डालती है. इसकी वजह से पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग, पेट के निचले हिस्से में दर्द, संतान होने में देरी और शुरुआती गर्भपात जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. हर महीने ओपीडी में आने वाली 100 में से 25 से 35 महिलाएं फाइब्रॉइड से पीड़ित पाई जाती हैं. इनमें कई महिलाएं ऐसी होती हैं जिन्हें लक्षणों का अंदाजा तक नहीं होता है.

डॉ. बंदना सोढ़ी के मुताबिक आजकल की शहरी जीवनशैली और देर से मां बनने की प्रवृत्ति ने फाइब्रॉइड को और जटिल बना दिया है. 20 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं में इसकी मौजूदगी लगातार बढ़ रही है. पहली बार मां बनने जा रही महिलाओं में ये समस्या और गंभीर हो सकती है. अगर फाइब्रॉइड छोटा है, गर्भाशय की भीतरी परत से दूर है और महिला को कोई लक्षण नहीं हैं, तो आमतौर पर गर्भावस्था सुरक्षित रहती है. हालांकि 10 से 40 प्रतिशत मामलों में इससे दर्द, समय से पहले डिलीवरी, भ्रूण की उल्टी स्थिति, भारी ब्लीडिंग और सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

चिराग एन्क्लेव स्थित मैश हॉस्पिटल की लेप्रोस्कोपिक गायनोकोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. रश्मि श्रिया ने बताया कि फाइब्रॉइड का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि इसका आकार, स्थिति और महिला की उम्र क्या है. छोटे आकार के फाइब्रॉइड बिना लक्षण के होते हैं और इनका इलाज जरूरी नहीं होता है. अगर फाइब्रॉइड बड़े आकार का हो और परेशानी पैदा कर रहा हो, तो इलाज की जरूरत होती है. दवाएं, सर्जरी और लैप्रोस्कोपी जैसी तकनीक से फाइब्रॉइड का इलाज किया जाता है. फाइब्रॉइड से बचने के उपाय की बात करें, तो पूरी तरह से फाइब्रॉइड से बचाव का कोई तरीका नहीं है. हालांकि महिलाएं अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव कर सकती हैं. स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और तनाव कम करने की विधियां इस स्थिति से बचने में मददगार हो सकती हैं. इसके अलावा नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच और फर्टिलिटी चेकअप करवाना भी फाइब्रॉइड को पहचानने में मदद करता है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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इस परेशानी का शिकार हो रहीं 25% महिलाएं ! लेट प्रेग्नेंसी भी बड़ी वजह

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