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छत्तीसगढ़ समेत देशभर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान अब पारंपरिक देसी तकनीकों की ओर लौट रहे हैं. इन्हीं में से एक है पंचपर्णी सार या दशपर्णी अर्क, जो पूरी तरह से जैविक कीटनाशक और उर्वरक है. यह 10 अलग – अलग औषधीय पत्तियों से तैयार किया जाता है और रासायनिक कीटनाशकों का सुरक्षित विकल्प है. जानिए पंचपर्णी सार की विधि और इसके फायदे….
नीम, धतूरा, आक, बेल, अमरूद समेत 10 प्रकार की औषधीय पत्तियां पंचपर्णी सार का आधार हैं. इन पत्तियों में मौजूद प्राकृतिक रसायन पौधों को कीटों से बचाने में मदद करते हैं.

चुनी गई पत्तियों को अच्छी तरह धोकर बारीक काटा जाता है और 10 लीटर पानी में 24 घंटे के लिए भिगोया जाता है. यह प्रक्रिया अर्क में पौधों के लिए आवश्यक औषधीय तत्वों को छोड़ने में सहायक होती है.

24 घंटे बाद इस मिश्रण को छानकर शुद्ध अर्क निकाला जाता है. यह अर्क पौधों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और कीट नियंत्रण में अत्यंत प्रभावी है.

तैयार दशपर्णी अर्क को 10-20 गुना पानी में मिलाकर फसलों पर स्प्रे किया जाता है. यह पूरी तरह सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल विधि है, जो लाभकारी कीड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता.

दशपर्णी अर्क का नियमित छिड़काव फसलों को कीटों से बचाता है और उनकी प्राकृतिक वृद्धि को बढ़ाता है. इससे उत्पादन भी अच्छा होता है और किसानों की लागत में भी कमी आती है.
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