स्पेस से लौटकर पहले जैसी नहीं रही शुभांशु शुक्ला की जिंदगी, हो रही हैं अजीब दिक्कतें

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Shubhanshu Shukla Experience : कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में 20 दिन बिताने के बाद अब धरती पर लौट तो आए हैं, लेकिन उनकी जिंदगी अब पहले जैसी नहीं है. उन्होंने जो भी दिक्कतें बताई हैं, वो सुनकर आप हैरान रह जा…और पढ़ें

शुभांशु शुक्ला.

हाइलाइट्स

  • शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष से लौटने के बाद एडजस्ट करने में दिक्कतें हो रही हैं.
  • लैपटॉप गिरने और फोन भारी लगने जैसे अनुभव साझा किए.
  • शुभांशु शुक्ला ISS पर जाने वाले पहले भारतीय हैं.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जब 20 दिन अंतरिक्ष में बिताकर धरती पर लौटे तो हैं लेकिन उन्हें अब भी यहां एडजस्ट करने में दिक्कतें हो रही हैं. वे अंतरिक्ष में रहकर धरती पर लगातार ये अपडेट दे रहे थे कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है वहीं अब धरती पर आने के बाद वे बता रहे हैं कि उन्हें यहां क्या समस्याएं आ रही हैं. उनकी दिलचस्प कहानियां सुनने के बाद आप भी हैरान रह जाएंगे.

अंतरिक्ष से लौटने के बाद सभी अंतरिक्षयात्रियों के लिए खासतौर पर पुनर्वास कार्यक्रम चलाते हैं. इसमें व्यायाम और फिजियोथेरपी के जरिए शरीर को दोबारा सामान्य स्थिति में लाया जाता है. इसके जरिये 3-4 दिनों में ही एस्ट्रोनॉट्स की स्थिति में सुधार दिखने लगता है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में कई हफ्ते लग सकते हैं. कुछ ऐसा ही हो रहा है शुभांशु शुक्ला के साथ, जिससे जुड़ी हुई वे कई मजेदार कहानियां शेयर कर रहे हैं.

हाथ से छूट गया लैपटॉप, फोन लगा भारी

हाल ही में उन्होंने बताया कि उन्हें एक मजेदार लेकिन सीख देने वाला अनुभव हुआ. वह अपने कमरे में बिस्तर पर बैठे थे, और लैपटॉप बंद कर उसे हवा में छोड़ दिया. वे अंतरिक्ष में ऐसा ही किया करते थे लेकिन यहां लैपटॉप जमीन पर गिर गया. उन्होंने आगे बताया कि गनीमत ये थी कि नीचे कालीन था, तो लैपटॉप खराब नहीं हुआ. इतना नहीं उन्होंने एक और एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया कि जब उन्होंने किसी से फोन मांगा और उसे हाथ में लिया, तो फोन के वजन ने उन्हें चौंका दिया. वही फोन कुछ दिन पहले तक सामान्य लगता था लेकिन अब वो भारी लग रहा है.

क्यों होते हैं ऐसे अजीबोगरीब अनुभव?

शुभांशु शुक्ला की ये बातें इस बात का उदाहरण है कि अंतरिक्ष से लौटने के बाद शरीर और दिमाग को फिर से धरती के गुरुत्वाकर्षण के साथ सामंजस्य बैठाने में कितनी चुनौती होती है. अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी की स्थिति में मस्तिष्क यह मानने लगता है कि चीजें हवा में तैरेंगी, इसलिए हाथ से चीज छोड़ना एक सामान्य आदत बन जाती है. अंतरिक्ष में कुछ ही दिनों में शरीर माइक्रोग्रैविटी के अनुसार ढल जाता है. मांसपेशियां, हड्डियां और संतुलन की समझ सब कुछ बदल जाता है. जब वापसी होती है, तो शरीर को दोबारा धरती के गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से ढालना आसान नहीं होता. चलना, उठना-बैठना और संतुलन बनाए रखना भी कठिन हो जाता है.

ISS पर जाने वाले पहले भारतीय हैं शुभांशु शुक्ला

आपको बता दें कि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय हैं. Axiom Space द्वारा आयोजित इस मिशन की लागत भारत के लिए लगभग 70 मिलियन डॉलर यानि करीब ₹580 करोड़ रही. यह मिशन NASA और ISRO के सहयोग से पूरा हुआ. Axiom Mission 4 (Ax-4) के तहत शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने कुल 433 घंटे अंतरिक्ष में बिताए, 288 बार पृथ्वी की परिक्रमा की और लगभग 1.22 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की. ये दूरी धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी से 32 गुना अधिक है.

Prateeti Pandey

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा…और पढ़ें

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा… और पढ़ें

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स्पेस से आने के बाद किन दिक्कतों का सामना कर रहे हैं शुभांशु शुक्ला? पहले जैसी

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