जरूरत की खबर- समोसा–जलेबी पर खतरे की चेतावनी जरूरी: शुगर, बीपी बढ़ा रहे हमारे फेवरेट स्नैक्स, कैसे चुनें इनका हेल्दी विकल्प

6 दिन पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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हाल ही में सोशल मीडिया और कई वेबसाइट्स में एक खबर वायरल हुई कि समोसा, जलेबी और कचौरी जैसे स्नैक्स पर चेतावनी लिखी जाएगी। इसमें दावा किया गया था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी एडवाइजरी जारी की है, जिसके तहत इन पॉपुलर देसी स्नैक्स पर वॉर्निंग लिखी जाएगी। हालांकि, सरकार ने अब इन दावों को फर्जी बताया है।

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने लिखा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी कोई एडवाइजरी नहीं जारी की है, जिसमें समोसा, जलेबी या लड्डू जैसे स्ट्रीट फूड को टारगेट किया गया हो। यह एक कॉमन एडवाइजरी है, जिसका मकसद लोगों को खाने-पीने की चीजों में छिपे एक्स्ट्रा फैट और शुगर के बारे में जागरूक करना है।

यह एडवाइजरी खासतौर पर ऑफिस और वर्क प्लेस में हेल्दी फूड चॉइस को बढ़ावा देने के लिए है। इसका भारतीय स्ट्रीट फूड कल्चर से कोई लेना-देना नहीं है।

सरकार ने भले ही यह एडवाइजरी नहीं जारी की है कि समोसा, जलेबी आदि स्नैक्स पर वॉर्निंग लिखनी जरूरी है। इसके बावजूद ये बेहद खतरनाक हैं। खराब तेल और ढेर सारी चीनी में बनी ये चीजें हमें लगातार बीमार बना रही हैं।

इसलिए ‘जरूरत की खबर’ में आज समोसा, जलेबी और कचौरी जैसे स्नैक्स की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • इन्हें रोज खाना कितना खतरनाक है?
  • इनके क्या अल्टरनेटिव हो सकते हैं?
  • डॉक्टर इस बारे में क्या कहते हैं?

एक्सपर्ट: डॉ. शिवम खरे, कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली

सवाल: समोसा, जलेबी जैसे खराब स्नैक्स का हमारे ऊपर क्या असर पड़ रहा है?

जवाब: हमारे खराब खानपान का नतीजा यानी भारत में लाइफस्टाइल बीमारियों का हाल देखिए। साल 2021 में भारत सरकार द्वारा किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत के लगभग 23% पुरुषों और 24% महिलाओं का वजन सामान्य से ज्यादा है। BMC पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 31.5 करोड़ लोगों को हाइपरटेंशन है। भारत में 10.1 करोड़ लोगों को डायबिटीज है, जबकि 15.3% वयस्क ऐसे हैं जिन्हें प्रिडायबिटीज है। इसका मतलब है कि ये जल्द ही डायबिटीज की लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। इन सभी लोगों को को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी है।

खराब खानपान का सीधी असर लोगों की बिगड़ती सेहत पर दिख रहा है। शहरों में अस्पताल और बेड हर साल बढ़ रहे हैं, पर मरीजों की कतारें उससे तेजी से लंबी हो रही हैं।

सवाल: क्या समोसा, जलेबी और कचौरी जैसे देसी स्नैक्स भी खतरनाक हैं?

जवाब: इन स्नैक्स में ज्यादातर चीजें तली हुई, ज्यादा मीठी या रिफाइंड होती हैं। इन्हें अधिक मात्रा में खाने से या अक्सर खाने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इसके उलट वजन बढ़ता है, कोलेस्ट्रॉल लोवल बढ़ता है, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इन चीजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्यादा होता है यानी ये शरीर में जाकर बहुत जल्दी शुगर लेवल बढ़ाते हैं। ढेर सारा खराब फैट जमा हो जाता है और बीपी भी बढ़ता है।

सवाल: समोसा, जलेबी, कचौरी जैसे सभी पॉपुलर इंडियन देसी स्नैक्स इतने नुकसानदायक क्यों हैं?

जवाब: इन चीजों को नुकसानदायक बनाते हैं, इन्हें बनाने में इस्तेमाल होनी वाली चीजे-

मैदा: जो रिफाइंड फ्लोर है, इससे फाइबर, विटामिन और मिनरल्स निकल जाते हैं।

रिफाइंड तेल: ये तेल बार-बार इस्तेमाल होने से ट्रांस फैट्स में बदल सकता है।

चीनी: खासकर जलेबी में बहुत अधिक मात्रा में शुगर होती है, जो सीधे ब्लड ग्लूकोज बढ़ाती है।

आलू: इसमें ढेर सारा कार्बोहाइड्रेट होता है और न्यूट्रिशन बहुत कम होता है।

सवाल: बार-बार तेल गर्म करने या डीप फ्राई करने से क्या होता है?

जवाब: बार-बार तेल गर्म करने से उसमें ट्रांस फैट और एक्रिलामाइड नाम का एक हानिकारक कंपाउंड बनता है। ये लिवर, किडनी और दिल पर बुरा असर डाल सकते हैं। ऐसे तेल से बने खाने में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस ज्यादा होता है, जिससे शरीर की कोशिकाएं जल्दी डैमेज होती हैं। ये इंफ्लेमेशन और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकता है।

सवाल: इन्हें थोड़ा हेल्दी बनाने के क्या आसान विकल्प हैं?

जवाब: अगर देसी स्नैक्स का स्वाद छोड़ना मुश्किल है, तो उन्हें हेल्दी बनाने के तरीके अपनाएं। डीप फ्राई की बजाय एयर फ्राई या बेक करें। मैदे की जगह आटा या मल्टीग्रेन आटा लें। रिफाइंड तेल की बजाय सरसों, मूंगफली या ऑलिव ऑयल बेहतर हैं। चीनी की जगह सीमित मात्रा में गुड़ या शहद इस्तेमाल करें। समोसे में आलू की जगह मिक्स वेज या पनीर भरें। मिठाई की क्रोविंग हो तो फ्रूट चाट या बेक्ड मिठाई ट्राई करें।

सवाल: क्या स्वाद और सेहत दोनों का बैलेंस संभव है?

जवाब: डॉ. शिवम खरे कहते हैं कि बिल्कुल संभव है। स्वाद और सेहत दोनों साथ चल सकते हैं, बस थोड़ा सोच-समझ कर खाना जरूरी है। मसाले वही रखें, बस इन्हें पकाने का तरीका बदलें। स्वाद को बनाए रखने के लिए कम मात्रा में खाएं लेकिन ताजे और साफ तरीके से बने स्नैक्स खाएं। बच्चों को हेल्दी वर्जन का स्वाद धीरे-धीरे सिखाएं, जैसे बेक्ड समोसा या गुड़ से बनी मिठाई खिलाएं।

सवाल: क्या हफ्ते में एक-दो बार समोसा, जलेबी खाना भी नुकसानदायक है?

जवाब: हां, बिल्कुल है, लेकिन अगर आप सेहतमंद हैं और बाकी खानपान संतुलित है तो हफ्ते में एक बार थोड़ी मात्रा में खाया जा सकता है। अगर हाई बीपी, डायबिटीज या मोटापा है तो इसे हफ्ते में भी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि हर बार इनसे शरीर में ट्रांस फैट, शुगर और कैलोरी का लोड बढ़ता है, जो धीरे-धीरे बीमारियों का कारण बनता है।

सवाल: क्या बच्चों के लिए ये स्नैक्स ज्यादा खतरनाक हैं?

जवाब: हां, क्योंकि बच्चों का मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम विकसित हो रहा होता है। ज्यादा फैट, चीनी और डीप फ्राई चीजें उनके वजन, दांतों और ब्लड शुगर को जल्दी प्रभावित करती हैं। इसलिए बचपन से ही हेल्दी खाने की आदत डालना जरूरी है।

सवाल: अगर रोज वर्कआउट करें तो क्या फिर भी ऐसे स्नैक्स से खतरा रहता है?

जवाब: वर्कआउट शरीर को एक्टिव रखता है, पर खराब फैट्स, शुगर और ट्रांस फैट का नुकसान वर्कआउट से पूरी तरह नहीं रुकता। एक्सरसाइज जरूरी है, लेकिन वह खराब खानपान का कम्पन्सेशन नहीं हो सकती है।

सवाल: कितनी मात्रा में चीनी, तेल या मैदा सुरक्षित माना जाता है?

जवाब: WHO के मुताबिक, रोज की कैलोरी में चीनी 5% से ज्यादा न हो यानी लगभग 5-6 चम्मच बहुत है। इसमें वह चीनी भी शामिल है, जो किसी फल या मीठी चीज को खाने से मिलेगी। तेल 3-4 चम्मच तक ठीक है, बशर्ते वह हेल्दी फैट होना चाहिए। मैदे की कोई न्यूनतम सुरक्षित सीमा नहीं है, इसे कम से कम खाना ही सही है क्योंकि इसमें फाइबर नहीं होता है।

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