Zomato की कहानी तब शुरू हुई जब दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा, जोकि आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र रह चुके थे, उन्होंने नई दिल्ली में बैन एंड कंपनी में काम करते समय ये देखा कि ऑफिस में बहुत से लोग सिर्फ मेनू कार्ड देखने के लिए लंबा इंतजार कर रहे थे. यहीं से उनके मन में एक समाधान खोजने का विचार आया और इसी सोच ने ‘फूडीबे’ नाम के एक प्लेटफॉर्म की नींव रखी.
इस तरह शुरू हुआ ‘Zomato’
2010 में बदल दिया नाम
फूडीबे की शुरुआत सबसे पहले दिल्ली में हुई थी और फिर इसे मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों तक बढ़ाया गया. हर साल इस ऐप को इस्तेमाल करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली. फूडीबे ने ग्राहकों को एक अनोखी और सुविधाजनक सर्विस दी, जिसकी वजह से यह बहुत जल्दी फेमस हो गया.
दीपिंदर गोयल ने इस पूरे बिजनेस को बढ़ाने में अहम किरदार निभाया. उनका जन्म पंजाब के मुक्तसर शहर में हुआ था. उनके माता-पिता दोनों ही शिक्षक थे, और उनका बचपन एक साधारण परिवार में बीता. शुरुआती पढ़ाई के दिनों में दीपिंदर का पढ़ाई में खास ध्यान नहीं लगता था. यहां तक कि वो छठवीं कक्षा में फेल भी हो गए थे. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे मेहनत करते गए.
Zomato का बिजनेस मॉडल
शुरुआती दौर में Zomato के फाउंडर्स का मकसद पैसा कमाना नहीं था. वे बस एक आसान समाधान देना चाहते थे. लेकिन जब वेबसाइट को लोगों से जबरदस्त सराहना मिलने लगी, तो उन्हें इसमें छुपे बड़े कारोबारी मौके का एहसास हुआ. आज ज़ोमैटो के पास करीब करोड़ों रजिस्टर्ड ग्राहक हैं.
कब पड़ा Eternal नाम?
देश की जानी-मानी फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो ने फरवरी 2025 में नाम बदलने का फैसला किया. कंपनी ने बोर्ड मीटिंग में इसपर अनुमति जताई और ऐसे में तब से जोमैटो को नए नाम ‘इटरनल (Eternal)’ से जाना जाएगा. कंपनी ने इस बारे में स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को जानकारी भी दी है.
इस बदलाव का मकसद ये है कि जोमैटो अब सिर्फ फूड डिलीवरी ऐप नहीं रहा. कंपनी अब कई दूसरे कारोबार जैसे ब्लिंकिट, हाइपरप्योर और लाइव किचन जैसे नए मॉडल्स में भी काम कर रही है. ऐसे में ‘इटरनल’ नाम कंपनी के पूरे बिजनेस को बेहतर तरीके से दिखाता है, जबकि ‘जोमैटो’ सिर्फ फूड डिलीवरी ब्रांड बना रहेगा.
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